Atmadharma magazine - Ank 359
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: भाद्रपद र४९९ : आत्मधर्म : १ :
वार्षिक वीर सं. २४९९
लवाजम भाद्रपद
चार रूपिया Sept. 1973
वर्ष: ३० अंक ११
ऊंडेथी आत्मानी हा पाड
हे भाई! तारा आत्मानी वात तें ऊंडेथी नथी मानी,
उपर–उपरथी सांभळीने हा पाडी, पण ऊंडेथी एटले के
अंतर्मुख थईने तें आत्मानो स्वीकार न कर्यो. तें आत्माने
रागमां जोडीने हा पाडी, पण रागथी आधो खसीने,
आत्माने आनंदमय निर्मळपर्यायमां जोडीने तें हा न पाडी.
जो एकवार अंतरमां ऊंडो ऊतरीने चैतन्यभावने स्पर्शीने
तेनी हा पाड तो तारो बेडो पार थई जाय.
अहा, चैतन्यनो अपार अनंत महिमा, तेनो स्वीकार
तो पर्यायमां थाय छेने? बापु! आवा आत्मामां स्वसन्मुख
पर्याय ते तारो मार्ग छे; बहारमां बीजे क्यांय तारो मार्ग
नथी. माटे तारा आत्माने तारी परम समरसी पर्यायमां जोड.
तारा शुद्ध द्रव्यमां परिणतिने जोड, ने शुद्धपरिणतिमां द्रव्यने
जोड, –एटले बंने अभेद थया; आ रीते हे जीव! तारा
आत्माने आत्मामां ज जोडीने तुं स्वद्रव्यनी रक्षा कर. आनुं
नाम भगवाननी भक्ति छे. आनुं नाम गुरुनी आज्ञा छे.
आ ज परमागमनुं रहस्य छे. जेणे आम कर्युं तेणे सत्यनी
रक्षा करी, तेणे पोताना आत्माने मोक्षमार्गमां जोडयो.