Atmadharma magazine - Ank 360
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: आसो र४९९ : आत्मधर्म : १९ :
भावने लीधे तुं स्वपरने दुःखदायी थयो. जे पापी परजीवोनो घात करे छे ते भव–
भवमां पोतानो घात करे छे. जीव ज्यां कषायोने वश थयो त्यां ते पोतानो घात करी ज
चूक््यो, –पछी बीजा जीवनो घात तो थाय के न थाय, ते तेना प्रारब्धने आधीन छे.
पण आ जीवे तेनो घात विचार्यो त्यां तेने जीवहिंसानुं पाप लागी चूकयुं अने ते
आत्मघाती थई ज गयो. बीजाने हणवानो भाव करवो ते तो, धगधगतो लोखंडनो
गोळो बीजाने मारवा माटे हाथमां लेवा जेवुं छे, – एटले सामो तो मरे के न मरे पण
आ तो दाझे ज छे; तेम कषायवश जीव प्रथम तो पोते पोताने ज कषायअग्निवडे हणे
छे. कोईने तप तो निर्वाणनुं कारण थाय, परंतु अज्ञानने लीधे क्रोधी द्वीपायनने तो तप
पण दीर्घ संसारनुं कारण थयुं. क्रोधथी परनुं बूरुं करवा चाहनार जीव पोते दुःखनी
परंपरा भोगवे छे. माटे जीवे क्षमाभाव राखवो योग्य छे.
क्रोधथी अंध थयेला द्वीपायन–तापसे भवितव्यता–वश द्वारावती नगरीने भस्म
करी, तेमां केटलाय बाळको–वृद्धो–स्त्री–पशुओ बळी गया; अनेक जीवोथी भरेली ते
नगरी छ महिना सुधी सळगती रही... अरे, धिक्कार आवा क्रोधने के जे स्व–परनो
नाश करीने संसार वधारनारो छे. क्रोधवश जीव संसारमां घणां दुःखो भोगवे छे.
द्वीपायने भगवान नेमिनाथना वचनोनी श्रद्धाने ओळंगीने, भयंकर क्रोधवडे पोतानुं
बूरुं कर्युं, ने द्वारकानगरीने भस्म करी. आवा अज्ञानमय क्रोधने धिक्कार हो.
अरे, जुओ तो खरा आ संसारनी स्थिति! बळदेव अने श्रीकृष्णवासुदेव जेवा
मोटा पुण्यवंत पुरुषो केवी महान विभूतिने पाम्या, जेमनी पासे सुदर्शनचक्र जेवा
अनेक महारत्नो हता, हजारो देवो जेमनी सेवा करता ने हजारो राजा जेमने शिर
नमावता, –भरतक्षेत्रना एवा भूपति पुण्य खूटतां रत्नोथी रहित थई गया, नगरी ने
महेलो बधुं बळी गयुं, समस्त परिवारनो वियोग थई गयो, मात्र प्राण ए ज जेनो
परिवार छे, कोई देव पण एमनी द्वारकानगरीने बळती बचावी न शक््या; एवा ते
बंने भाईओ अत्यंत शोकना भारथी भरेला, जीववानी आशाथी पांडवो पासे जवा
दक्षिण मथुरा तरफ चाल्या, जेमने पोते राज्यमांथी काढी मुकेला तेमना ज शरणे
जवानो वारो आव्यो. –रे संसार! पुण्य–पापना आवा विचित्र खेल देखीने हे जीव! तुं
पुण्यना भरोसे बेसी न रहीश, शीघ्र आत्महितने साधजे.
जन्ममां के मरणमां वळी सुखमां के दुःखमां,
संसारमां के मोक्षमां, रे जीव! तुं तो एकलो.