वेलावेला पधारो प्रभु! परमागम–मंदिरमां
अहो, वहाला वीरनाथ! आपनो सुंदर मार्ग अमारा महाभाग्ये
गुरुकहान द्वारा अमने प्राप्त थयो... आपना मार्गमां वहेता वीतरागी
आनंदनां वहेणथी अमे पावन थया. समंतभद्रस्वामीए खरूं ज कह्युं छे के
मिथ्यात्वी–चित्त आपने पूजी शकतुं नथी, सम्यकत्वी ज आपने पूजे छे.
अहा, आपनी सर्वज्ञता, आपनी वीतरागता, अने शुद्धात्माना
आनंदस्वादथी भरेलो आपनो उपदेश, –एनी महानताने जे ओळखे छे
ते तो आपना मार्ग चालवा मांडे छे, ने तेना चित्तमां आप बिराजो छो,
ते ज आपने पूजे छे. आपनी महानताने जे न ओळखी शके ते आपने
क््यांथी पूजी शके! प्रभो! अमे तो आपने ओळख्या छे, ने अमे आपना
पूजारी छीए.