Atmadharma magazine - Ank 360
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: आसो र४९९ : आत्मधर्म : र७ :
प्रगटे छे; अने ते ज वखते अनंतानुबंधी कषायोना अभावथी स्वरूपाचरण पण थाय
छे– आवो मोक्षमार्ग सम्यग्दर्शन थतां चोथा गुणस्थाने शरू थाय छे. सिद्धप्रभुना
आनंदनो नमुनो चाखतुं सम्यग्दर्शन प्रगट्युं त्यां एकसाथे अनंतगुणमां निर्मळ कार्य
थवा मांड्युं छे.
श्रद्धागुणनी शुद्धपर्याय ते सम्यग्दर्शन छे. सम्यग्दर्शन ते कांई त्रिकाळी गुण
नथी, श्रद्धागुण त्रिकाळ छे तेनी सम्यक्पर्याय थई ते सम्यग्दर्शन छे, ने तेमां मिथ्यात्व
संबंधी दोषनो अभाव होवाथी ते सम्यग्दर्शनने ‘गुण’ कहेवाय छे. मिथ्यात्व ते
मलिनता ने दोष छे, तेनी सामे सम्यग्दर्शन ते पवित्र गुण छे, तेमां शुद्धता छे,
निर्मळता छे तेथी तेने गुण कह्यो. तेमां अभेद आत्मानी निर्विकल्प प्रतीत छे, ते
मोक्षपुरीमां प्रवेशवानो दरवाजो छे.
सम्यग्ज्ञान ते ज्ञानगुणनी पर्याय छे. चोथा गुणस्थाने आत्मानुं अनुभवज्ञान
थयुं त्यारथी सम्यग्ज्ञान शरू थयुं, पण ते एक साथे पूरूं न थाय; केवळज्ञान थाय त्यारे
पूरुं थाय. सम्यग्ज्ञान स्व–परने, भेद–अभेदने, शुद्ध–अशुद्धने, बधायने जेम छे तेम
जाणीने पोताना आत्माने परभावोथी भिन्न साधे छे.
हुं शुद्ध परिपूर्ण अभेद एक भूतार्थ आनंदमय चैतन्यतत्त्व छुं–एवा
स्वसंवेदनपूर्वक सम्यग्द्रष्टिजीव आत्मानी मान्यता करे छे. सम्यग्दर्शनमां पोताना आवा
आत्मानो स्वीकार छे. सम्यग्दर्शनपर्यायमां स्वसन्मुखता छे, सम्यग्दर्शनमां
परसन्मुखता नथी. शुं पर सामे जोये सम्यग्दर्शन थाय छे? –ना; कोई परनी सामे
जोयेथी (देव–गुरुनी सन्मुखताथी पण) सम्यग्दर्शन थतुं नथी. पोताना भूतार्थ
आत्मानी सन्मुखताथी ज सम्यग्दर्शन थाय छे. सम्यग्दर्शन–पर्याय श्रद्धा गुणनी छे, ने
श्रद्धागुण आत्मानो छे, तो आत्मानी सन्मुख थया वगर सम्यग्दर्शन पर्याय क््यांथी
थशे? श्रद्धागुण ने तेनी सम्यग्दर्शनपर्याय ते तो आत्मानुं निजस्वरूप छे; ते
निजस्वरूपनी सन्मुख थतां ते पोते श्रद्धागुणनी निर्मळपर्यायरूपे परिणमे छे. आ
जीवनो श्रद्धागुण कांई बीजा कोई देव–गुरु–शास्त्र पासे नथी, – के तेमांथी
सम्यग्दर्शनपर्याय आवे! श्रद्धागुण ज्यां होय त्यांथी तेनी सम्यग्दर्शनपर्याय आवे.
श्रद्धागुण आत्मवस्तुनो छे तेनी अखंड प्रतीत वडे सम्यक्त्वरूप शुद्धपर्याय प्रगटे छे.
सम्यक्त्वनी जेम बधा गुणोनी शुद्धपर्यायो पण स्वाश्रये प्रगटे छे–एम समजी लेवुं.