मुक्तिनोमार्ग बतावतुं आ प्रवचन सौने गमशे. भगवान
महावीरे कहेला आत्माना सत्य स्वरूपने जाणीने
निर्वाणमार्गनी साधना करवी ते ज भगवानना मोक्षनो साचो
महोत्सव छे. भगवाने कहेला मार्गने जाण्या वगर मोक्षनो
साचो उत्सव थई शके नहि. भगवान कहे छे: हे भव्य!
परभावोथी भिन्न आनंदस्वरूप आत्मा जगतमां प्रसिद्ध छे..
आवा जगप्रसिद्ध सत्यने तुं जाण.. तने प्रसन्नता थशे..
आनंद थशे.
मुमुक्षुजीवे नक्की कर्युं छे के हुं ज्ञानतत्त्व छुं. मारुं ज्ञान आकुळता वगरनुं, स्वयं
थाय, ने प्रतिकूळ संयोग होय तो ज्ञानमां खेद थाय–एवुं ज्ञानमां नथी. संयोगथी पार,
अने हरख–शोकथी पण पार एवुं ज्ञानस्वरूप प्राप्त करीने सहज ज्ञानचेतनापणे वर्तता
धर्मात्मा मुक्त ज छे. –मोक्षना साधक जीवो आवा होय छे.
तो दुःख ज छे. ज्ञानने भूलीने आवा दुःखवेदनमां जीवे अनंतकाळ गाळ्यो; पण