Atmadharma magazine - Ank 361
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: कारतक : २५०० आत्मधर्म : १३ :
आत्मस्वभावनो आश्रय करीने, आत्मामां जे ज्ञान अभेद थईने परिणमे ते ज खरूं
ज्ञान छे.
प्रश्न:–जो शब्द अचेतन छे ने वाणीथी–श्रुतथी ज्ञान नथी थतुं तो, ‘तीर्थंकरो–
संतोनी वाणी जयवंत वर्तो, श्रुत जयवंत हो’–एम शा माटे कहेवाय छे?
उत्तर:–वाणीथी ज्ञान थतुं नथी पण स्वभाव तरफनी एकाग्रताथी ज्ञान प्रगटे
छे. सम्यग्ज्ञान थया पछी जीव एम जाणे छे के पहेलांं वाणी तरफ लक्ष हतुं, एटले के
सम्यग्ज्ञान थवामां निमित्तरूप वाणी छे. खरेखर तो पोताना आत्मामां जे भेदज्ञान
प्रगट्युं छे ते (भावश्रुत) जयवंत हो–एवी भावना छे; अने शुभविकल्प वखते,
भेदज्ञानना निमित्तरूप वाणीमां आरोप करीने कहे छे के ‘श्रुत जयवंत हो, भगवाननी
ने संतोनी वाणी जयवंत हो. ’ केमके ते सम्यक्श्रुत भावश्रुतमां निमित्त छे. परंतु ते
वखतेय धर्मीने अंतरमां बराबर भान छे के वाणी वगेरे परद्रव्यथी के तेना तरफना
रागथी मारा आत्माने किंचित् लाभ थतो नथी.
आत्माना ज्ञानमां वाणीनो अभाव छे अने वाणीमां ज्ञाननो अभाव छे.
जीवनो कोई गुण अचेतनमां नथी, माटे जेणे पोताना आत्मामां सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान, शांति, सुख वगेरे प्रगट करवां होय तेणे क््यांय बहारमां न जोतां, अनंत–
गुणस्वरूप पोताना आत्मस्वभावमां जोवुं. आत्मस्वभाव तरफ वळतां सम्यग्दर्शन–
ज्ञान वगेरे प्रगट थाय छे. अने ते सिवाय वाणी–शास्त्र वगेरे बाह्य वस्तुओना लक्षे
रागादि बंधभावो थाय छे.
अहा, आचार्यदेवे ज्ञानस्वभावनी अपूर्व वात करी छे. वाणी अचेतन छे, तेना
आधारे ज्ञान नथी; ज्ञानस्वभावी आत्मा पोते ज ज्ञान छे. अहो! आ भेदविज्ञाननी
परम सत्य वात छे, आत्मकल्याणनो मार्ग छे. पण जेने पोताना कल्याणनी दरकार
नथी अने जगतना मान–आबरूनी दरकार छे एवा तूच्छबुद्धि जीवोने आ वात नथी
रुचती, एटले खरेखर तेने पोतानो ज्ञानस्वभाव ज नथी रुचतो ने विकार भाव रुचे
छे; तेथी आवी अपूर्व आत्मस्वभावनी वात काने पडतां एवा जीवो पोकार करे छे के
‘अरे, आत्मा परनुं कांई करे नहि–एम कहेवुं ते तो झेरनां ईन्जेक्शन आपवा जेवुं छे.
’ अरे, शुं थाय! आ भेदज्ञाननी परमअमृत जेवी वात पण तेने झेर जेवी लागी!!
बापु! एकवार आ भेदज्ञाननुं ईन्जेक्शन ले तो अनंतकाळना मिथ्यात्वनुं झेर ऊतरी
जशे, ने तने अतीन्द्रिय आनंद थशे. आत्मा ज्ञानस्वरूप छे, विकारनो अने परनो ते
अकर्ता छे–एवी भेदज्ञाननी वात तो,