पर्याय छे. जेणे अंदरनी स्वानुभूति करी तेणे सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनुं सेवन कर्युं; ते
अनुभूति पोते आत्मा ज छे, आत्मा तेनाथी भिन्न नथी. आवा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्ररूप आत्मानुं सेवन, तेमां शुभराग नथी, तो पछी शरीरनी तो वात ज केवी?
तेमणे मोक्षमार्ग तरीके सेव्यो न हतो; माटे ज्ञानमय सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र ते ज
एक मोक्षमार्ग छे, शुभराग के शरीरना आश्रये मोक्षमार्ग नथी,–एम सूत्रनी अनुमति
छे. माटे बीजी बधी चिंता छोडीने एक ज्ञाननुं सेवन कर, ज्ञानना सेवन वडे
मोक्षमार्गमां तारा आत्माने जोड.
आवा मोक्षमार्गमां स्थाप!
तेमां ज नित्य विहार कर, नहि विहर परद्रव्यो विशे.
बधाय भगवंतोए मोक्ष माटे केवुं काम कर्युं हतुं? के रागरहित ज्ञानमय रत्नत्रयने
सेव्या हता. बधाय भगवंतोए सेवेलो आ ज एक मोक्षमार्ग छे, बीजो मार्ग मोक्ष माटे
छे ज नहीं.
उपदेश पण एम ज करी निर्वृत्त थया; नमुं तेमने.
बस लिंग छोडी ज्ञान ने चारित्र दर्शन सेवता.