Atmadharma magazine - Ank 361
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: कारतक : २५०० आत्मधर्म : ३५ :
अरे जीव! चोराशीना अवतारनां दुःखोथी छूटवुं होय तो परम बहुमानपूर्वक तुं
जैनदर्शननी श्रद्धा राखजे, अने ताराथी थई शके तेटली वीतरागमार्गनी आराधना
करजे. न थई शके तो श्रद्धा राखजे पण बीजुं मानीश मा; मार्गने बगाडीश मा.
चारित्रदोष होय तेने चारित्रदोष तरीके जाणजे; पण ते दोषने मार्गमां खतवीश नहि.
मार्ग तो जेम छे तेम राखजे.
अहा, वीतरागी चैतन्यशांतिनुं वेदन सम्यग्दर्शनमां छे. ते शांतिमां कषायनो
(शुभरागनो पण) कण केम समाय? शुभराग पण जात तो कषायनी ज छे, ते कांई
चैतन्यनी शांतिनी जात नथी. समकिती पण पोतानी अवस्थामां जेटला रागादि भावो
छे तेने दोष तरीके जाणे छे. ज्ञानधारामां रागधाराने भेळवता नथी. जेटली ज्ञानधारा
छे तेने तो मोक्षमार्ग जाणे छे अने जेटली रागधारा छे तेने बंधमार्ग जाणे छे.
ज्ञानधारामां चैतन्यस्वादनुं वेदन छे; ते वेदन कांई रागधारामां नथी. रागधारामां तो
दुःखनुं वेदन छे. चैतन्यना स्वादनी मधुरता पासे जगतनो रस धर्मीने ऊडी गयो छे.
सम्यग्दर्शनमां आवो चैतन्यस्वाद छे. आवा सम्यग्दर्शनने हे जीव! तुं अत्यंत भक्तिथी
धारण कर. ते उपरांत सम्यक् चारित्रनुं पण जेटलुं पालन थई शके तेटलुं जरूर कर.
आवो उपदेश भगवान केवळी–जिनदेवना मार्गमां छे. अहो, आवो सुंदर मार्ग! तेने
पामीने हे जीव! तुं बीजा मिथ्यामार्ग सामे जोईश नहीं.
जिनवरदेवे कहेला मोक्षमार्गमां प्रथम कर्णधार तो सम्यग्दर्शन छे. चारित्रदशा–
मुनिपणुं ल्ये तेने ज सम्यग्दर्शन मानी शकाय–एम कांई नथी. मुनिदशानुं चारित्र न
होय तोपण सम्यग्दर्शन धर्मीने होय छे. हा, सम्यग्दर्शननी साथे सम्यग्दर्शनने योग्य
चारित्र (कुदेव–कुगुरु–कुधर्मनो त्याग, अभक्ष्य भक्षणनो त्याग वगेरे आचरण) जरूर
होय. पण सम्यग्दर्शन वगर सम्यक्चारित्रदशा तो कदी न होय. सम्यग्दर्शनसहित
सम्यक्चारित्रदशा पण होय तो–तो मोक्षमार्गमां ते खूब शोभी ऊठे छे, ते तो उत्तम छे.
पण कोईने तेवी चारित्रदशा न होय तो तेथी कांई तेना सम्यग्दर्शननी किंमत घटी न
जाय. सम्यग्दर्शन वडे पण तेनुं आराधकपणुं बराबर टकी रहेशे. माटे हे जीवो! तमे
भावथी आवा उत्तम सम्यग्दर्शनने धारण करो.
अहो, सम्यग्दर्शन आत्माना अपार महिमाने झीले छे; ते सम्यग्दर्शननी किंमत
बहारना कोई पदार्थवडे थई शके नहि. जे जीव बहारना पदार्थवडे के रागवडे
सम्यग्दर्शननी किंमत करवा मांगे छे तेणे सम्यक्त्वना अपार महिमानी खबर नथी. अरे,