थया. अनंतसुखनी प्राप्तिरूप सिद्धि, अने दुःखथी–संसारथी सर्वथा
छूटकारारूप मुक्ति, आवी दशा प्रभु आ दिवसे पाम्या; तेनुं स्मरण करवानो
आ दिवस छे. गौतम स्वामी आ दिवसे ज केवळज्ञान पामीने अरिहंत थया;
अने सुधर्मस्वामी आ दिवसे ज श्रुतकेवळी थया. देहातीत थईने
सिद्धभगवान एम प्रसिद्ध करी रह्या छे के अहो जीवो! संयोग अने शरीर
वगर ज देहातीत चैतन्यभावथी आत्मा पोते ज स्वयं सुखी छे...अतीन्द्रिय
आनंदरूप आत्मा पोते छे.–आवा अतीन्द्रिय ज्ञान–आनंद स्वरूप आत्माने
ओळखतां, पोते अतीन्द्रिय ज्ञानरूप थईने आनंदनो स्वाद आवे छे; –आ
वीरनाथनो मार्ग छे. आवो मार्ग जयवंत छे.
मोक्षगमननुं २५०० मुं वर्ष बेठुं. अत्यारे आवो चोकखो वीरमार्ग पामीने,
सम्यग्दर्शन वडे (२+५) (सात) प्रकृतिना क्षयनो प्रारंभ करी दीधो ते
मंगळ छे. सात प्रकृति (२+५) तेना शून्य (००) नो प्रारंभ करवो, एटले
के सम्यक्त्वनी एवी अप्रतिहत आराधना करवी–के जेमां वच्चे भंग पड्या
वगर क्षायिकसम्यक्त्व थशे,–ते भगवानना मोक्षकल्याणकनी साची उजवणी
छे; ते अपूर्व आनंदमय मंगळ छे. साधकजीव सम्यक्त्वना अखंड दीवडा
प्रगटावीने दीवाळीनो महोत्सव करे छे. आवी आराधना शरू थई तेना
फळमां मोक्ष थशे.