Atmadharma magazine - Ank 361
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: ४८ : आत्मधर्म : कारतक : २५००
जांबुडी–(गुजरात)मां कारतक सुद तेरसना रोज पद्मप्रभजिनेंद्रना जिनालय उपर
कळश अने ध्वजारोहण भव्य महोत्सवपूर्वक थयुं. आ प्रसंगे सोनगढथी पू. गुरुदेव
जांबुडी पधार्या हता ने नव दिवस रह्या हता. नव दिवस सुधी धार्मिक शिक्षणवर्ग
चालेल, तेमां हजारो जिज्ञासुओए उत्साहथी लाभ लीधो हतो. जांबुडी जेवा
नानकडा गाममां ठेरठेर वीतरागवाणीनी मीठी ज्ञानपरब चालती हती ने हजारो
जीवो अत्यंत प्रेमथी ज्ञानरसनुं पान करता हता. वीरनिर्वाणना पचीससो वर्षना
भव्य उत्सव माटे पण गुजरातने अने भाईश्री बाबुभाई तथा प्रमुखश्री
नवनीतभाई वगेरेने घणो उत्साह छे. गुजरात–सौराष्ट्र–कच्छना मुमुक्षुओ पण तेमां
साथ आपवा आतूर छे. पू. गुरुदेव जांबुडी पधारतां वीतरागविज्ञाननी घणी सारी
प्रभावना थई हती. गुरुदेव जांबुडीथी प्रस्थान करीने ता. ९मीए अमदावाद
पधारशे, अने त्यां चार दिवस रोकाईने ता. १३मी नवेम्बर (कारतक वद त्रीज)ना
रोज सोनगढ पधारशे.
मलकापुर–(महाराष्ट्र)मां महावीरनिर्वाणना २५०० मा वर्षना महोत्सव निमित्ते
शिक्षणशिबिर द्वारा तत्त्वज्ञाननो महान प्रचार गतमासमां थयो. ज्ञानना आ
महायज्ञमां हजारो जिज्ञासुओए ‘आनंद–उल्लासथी भाग लीधो हतो. अनेक
ग्रेज्युएटो, कोलेजियनो तथा शिक्षको अने विद्यार्थीओए घणा प्रेमथी जैनधर्मना
तत्त्वज्ञाननो अभ्यास कर्यो हतो. मलकापुरना युवानो शास्त्रस्वाध्यायना प्रेम माटे
पहेलेथी प्रसिद्ध छे. खरेखर आजना सुशिक्षित युवानो पण धर्मना अभ्यासमां जे
रस लई रह्या छे ते जैनसमाजनी उन्नतिनी निशानी छे. ‘जुवानिया धर्ममां रस
नथी लेता’ एवी वृद्ध माणसोनी जुनी वातने आजना उत्साही युवानोने धोई
नांखी छे. धन्य छे युवानोने! युवानो हजी पण वधु ने वधु जागो...ने जैनधर्मना
विजयध्वजने ऊंचे ऊंचे फरकावो.
विशेष आनंदनी बीजा वात ए छे के महाराष्ट्रमां समाज द्वारा १०१ नवी
जैन–पाठशाळाओ खोलवानो संकल्प कर्यो छे. महाराष्ट्रमां तत्त्वज्ञानप्रचार माटे खास
समिति नीमवामां आवी छे. जेमने विद्वाननी जरूर होय, साहित्यनी जरूर होय
शिक्षणशिबिर के पाठशाळा के खोलवी होय, तेमणे नीचेना सरनामे पत्रव्यवहार
करवो–
भगवान महावीर वीतरागविज्ञान – प्रचार समिति – महाराष्ट्र
ठि. अंतरीक्ष पार्श्वनाथ दि. जैनसंस्थान
पोस्ट शिरपुर (बाशीम, आकोला–महाराष्ट्र)