Atmadharma magazine - Ank 362
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : मागशर : रप००
मद्रास:– मुमुक्षु मंडळना मंत्री श्री शांतिभाई जणावे छे के दिवाळीने दिवसे
अहींथी बस द्वारा एकसो जेटला मुमुक्षु यात्रिको मद्रासथी ८० माईल पर आवेली
कुंदकुंदप्रभुनी पावन तपोभूमि पोन्नूर–मलय तीर्थंधामनी यात्राए गया हता; आखो
दिवस त्यां रही आनंदपूर्वक भक्ति–पूज्न ने आत्मभावनाओ करी हती; ने
कुन्दकुन्दाचार्यदेवनो महान उपकार याद आवतो हतो. अहा, कुन्दकुन्दप्रभुना परम
उपकारनी शी वात! अने एवा कुन्दकुन्दप्रभुनुं हृदय ओळखावनार कहानगुरुनो
उपकार पण महान छे. पोन्नूर (एटले के सुवर्णनो पहाड)–तेना पर चढवा माटेना
पगथिया बंधाय छे ने त्रीजा भागना बंधाई गया छे. श्री शांतिभाई विशेषमां जणावे
छे के जे कोई मुमुक्षु भाई अहीं यात्रार्थे आववा मांगता होय तेमने माटे बधी
सगवडता करी आपशुं; ते माटे नीचेना सरनामे खबर आपवा–
श्री दिगंबर जैन मुमुक्षुमंडळ. ९ बंदरस्ट्रीट, मद्रास १ (फोन. र३प७०)
* मलाड:– (मुंबई) मुमुक्षुमंडळ तरफथी समाचार छे के: अहींना मंडळ तरफथी
बोरीवली–त्रिमूर्ति (ऋषभदेव–भरत–बाहुबली) नी दर्शनयात्रानो कार्यक्रम राखेल,
तेमां युवकमंडल अने पाठशाळाना बाळकोए खूब उत्साहथी भाग लीधो हतो. युवकोए
सुंदर जागृती बतावी. विद्यार्थीओ पण धर्मसंस्कारने पुष्ट करी रह्या छे. पाठशाळाना
६०–७० जेटला बाळको वीतरागविज्ञाननी परीक्षा आपशे. गामेगाम पण विद्यार्थीओ
माटे जैन पाठशाळा चालु थाय तेवी भावना भावी छे–धन्यवाद!
* प्रेमथी आत्मधर्म वांचो...अने...शोधी काढो *
(आ अंकमांथी शोधी काढवानां दश वाक््यो–)
(१) अहिंसा, अनेकान्त अने अपरिग्रहभाव वडे महावीरप्रभुना...
(र) स्वरूप–लक्ष्मी प्राप्त थशे..थशे ने थशे!–ए अनेकान्तमार्गनो...
(३) मुमुक्षुनुं जीवन अडगपणे आत्महितना मार्गे ज वर्ते छे,...
(४) सम्यग्दर्शननी किंमत केटली? ...
(प) तन–धनमां नहीं सुखनुं नाम, सुख–शांतिनुं...
(६) अहो, अतीन्द्रियज्ञान ने अतीन्द्रियसुख, ते तो...
(७) अनेकान्त ते जीवन, एकांत ते...
(८) अनेकान्त मार्ग वडे जगतमां तत्त्वज्ञाननो प्रचार...
(९) मोहने हणवा माटे अरिहंतदेवे उपदेशेलुं अमोघसाधन एटले...
(१०) अहो, अनेकान्त प्रकाशीने अरिहंतदेवे महान...