पोतानो पूर्ण आत्मवैभव जेने न देखाय ते ज बीजा पासेथी कंई लेवानी
बुद्धि करे, ने परमांथी लाभ लेवानी बुद्धि ज परिग्रहनुं मूळ छे.
बताव्यो छे; आवा पोताना पूर्ण आत्मवैभवने देखनार जीव बीजा
पासेथी कांई लेवानी बुद्धि करतो नथी एटले तेने परनी ममतारहित
अपरिग्रहपणुं प्रगटे छे. रागना कोई अंशने पण ते ज्ञानमां पकडतो
नथी, रागना अंशथी ज्ञानने लाभ थवानुं मानतो नथी, एटले तेना
ज्ञानमां रागनो पण परिग्रह नथी. आ रीते ज्ञान पोते ज परना
परिग्रह वगरनुं होवाथी ते अपरिग्रही छे; अने आवुं अपरिग्रहत्व ते ज
भगवाननो मार्ग छे.
ज समाई जाय छे.
भगवानना निर्वाणनो पचीससो वर्षनो महोत्सव छे.–आवी ऊजवणीमां
कोईपण जैनने विरोध होई शके नहि. एमां तो बधा जैनो एकमत
थईने कहेशे के–
जगतनी विभूति कांई मोटी नथी. अहा, चैतन्यनी अद्भुत विभूति
पासे जगतनी विभूति तो साव तूच्छ भूतिसमान छे.
शकतो नथी. मुमुक्षुनुं जीवन अडगपणे आत्महितना मार्गे ज वर्ते छे,
तेने कोई डगावी शके नहि.