: २६ : आत्मधर्म : पोष : रप००
गतांकमां विचारवाना चार प्रश्नो लखेल, तेनो जवाब –
(१) आपणा गुजरात–सौराष्ट्रमां चार सिद्धक्षेत्रो आवेला छे– गीरनार, शत्रुंजय,
पावागढ अने तारंगा. गीरनार–तीर्थमां भगवान नेमिनाथना दीक्षा कल्याणक,
ज्ञानकल्याणक अने मोक्षकल्याणक थया छे तथा श्रीकृष्णना पुत्रो वगेरे ७र
करोडने सातसो मुनिओ सिद्धपद पाम्या छे. शत्रुंजयतीर्थमां त्रण पांडवो वगेरे
आठ करोड मुनिवरो सिद्धपद पाम्या छे. पावागढतीर्थमां रामकुमारो लव–कुश,
लाटदेशना राजा अने पांच करोड मुनिवरो सिद्धपद पाम्या छे; तथा
तारंगातीर्थमां वरदत्त–सागरदत्त वगेरे साडात्रण करोड मुनिवरो सिद्धपद पाम्या
छे. ते सर्वे सिद्धभगवंतोने अने सिद्धिधामने नमस्कार हो.
(र) सिद्धभगवान संपूर्ण सुखी छे, तेमने जराय दुःख नथी. तेओ देवगतिमां,
मनुष्यगतिमां के संसारनी कोई गतिमां नथी, मोक्षगतिमां छे. अरिहंत
भगवंतोय जोके संपूर्ण सुखी छे, परंतु तेओ हजी मनुष्यगतिमां छे.
सिद्धभगवंतो चारे गतिथी पार छे.
(३) पंचपरमेष्ठी भगवंतोमां अरिहंत अने सिद्ध भगवंतो सर्वज्ञ छे; आचार्य–
उपाध्याय–साधु हजी सर्वज्ञ नथी पण रत्नत्रय वडे सर्वज्ञपदने साधी रह्या छे.
(४) पांचपरमेष्ठी भगवंतोमांथी सिद्धभगवंतो पंचमगतिमां एटले के मोक्षगतिमां
बिराजे छे. बाकीनां चारे परमेष्ठी मनुष्यगतिमां होय छे. ए सिवायनी
त्रणगतिमां पंचपरमेष्ठीपद होतुं नथी; सम्यग्दर्शन अने आत्मज्ञान होई शके छे.
“महावीर भगवान” संबंधमां जे भाई –
बहेनोए लेख लखी मोकल्या छे ते सौने धन्यवाद!
हजी पण जेमने लेख लखवा ईच्छा होय तेमने
जान्युआरी मासनी आखर तारीख सुधी तक
आपवामां आवे छे. लेख मोकलनारनां नामो अने
बीजी माहिती आगामी अंकमां आपीशुं. लेख
मोकलनार सौने आ अठवाडियामां पुस्तक मळशे.