Atmadharma magazine - Ank 363
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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बनावुं पत्र कुंदननां, रत्नोनां अक्षरो लखी,
तथापि कुंदसूत्रोना अंकाये मूल्य ना कदी.
सुरुचिभाव–पत्रोमां स्वानुभवनी शाहीथी,
करुं आ कुंदसूत्रोनां अहो! मूल्य सुज्ञानथी.