Atmadharma magazine - Ank 364
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: महा : रप०० आत्मधर्म : ४५ :
ए तो हशे कोईक भीखारी! ’ अररर! एक वखतना पोताना पतिने अने एक महान
वीतरागी जैन मुनिराजने आ दुष्टराणी भीखारी कही रही छे.–ए सांभळीने धावमाता रडी
पडी...कुंवरे पूछतां तेणे खुलासो कर्यो के: बेटा! तारी मा जेने भीखारी कही रही छे ते अन्य कोई
नहि पण तारा पिता ज छे, ए मुनि थया छे; ने तारी माताना हुकमथी ज दरवान तेने रोकी
रह्यो छे...एक वखतना राजना मालिकने आजे नगरमां प्रवेशतां एक दरवान रोकी रह्यो छे!
–रे संसार! !
कुंवर तो ए सांभळतां ज पिता पासे दोडी गयो...त्यां ने त्यां ज जिनदीक्षा धारण करीने
राजपुत्र मटीने मुनिपुत्र बन्यो...पितानो साचो वारसदार बन्यो...माता दुष्ट परिणामथी मरीने
वाघण थई...ने ध्यानमां बेठेला पुत्रने (सुकोशल मुनिने) खावा लागी...पण एनो हाथ जोतां
एने जातिस्मरण थयुं: अरे! आ तो मारो पुत्र! ! पछी तो कीर्तिधर मुनिराजे संबोधन करीने
ए वाघणने वैराग्यनो उपदेश आप्यो...ने ए वाघण पण धर्म पामी.
आत्मधर्म–प्रचार तथा बालविभाग माटे आवेल रकमोनी यादी
५१ रूपचंद बादरमल शाह मद्रास ११ शांताबेन मणिलाल सोनगढ
१११ छोटालाल डामरदास शाह सोनगढ २५ गुलाबचंद भगवानजी हेमाणी सोनगढ
कान्ताबेन दवे सोनगढ २५ समताबेन रतिलाल वढवाण
५१ पांचुबेन चुनीलाल राणपुर ११ हिमांशुं रसिकलाल घाटकोपर
५१ दुधीबेन देवचंद मोदी सोनगढ ११ रसिकलाल अमीचंद डगली घाटकोपर
११ शशीकांत भीखालाल राजकोट १०१ कपुरचंद त्रिभुवन वोरा कलकत्ता
३१ भानुबेन घेलाणी कलकत्ता ५१ ताराचंद त्रिभुवन वोरा कलकत्ता
५१ खेमराज दुलीचंद जैन सोनगढ ५१ कांतिभाई मोटाणी मुंबई
५१ कस्तुरबेन एन. लोदरीया सोनगढ ११ कांताबेन दवे सोनगढ
५१ ब्र. हरिलाल जैन सोनगढ २५ हर्षद मुलवंतराय कलकत्ता
५१ वेलजी धरमशी नाईरोबी ५१ मरघाबेन प्रेमचंद चुडा
१२५ डो. चीमनलाल एम. श्रोफ मुंबई
(ता. ३१–१–७४ सुधी)
परमागममंदिरनो मंगल उत्सव एवा आनंदथी उजवीए के
स्व–पर सौने आत्मलाभनुं कारण थाय, ने जैनशासन शोभी ऊठे.