Atmadharma magazine - Ank 364
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: महा : रप०० आत्मधर्म : ४७ :
(१२) वर्ष हजार अढी वीतीया...पण वर्ते शासन आज.
एने जो ओळखो तमे तो लई ल्यो मुक्तिराज.
करता वृद्धि धर्मनी ने पोते धर्म स्वरूप,
सुवर्णमां पधारीया, छे महोत्सव आनंदरूप.
त्रण शिखर एक मंदिरे, ने कळशा छे ओगणीश,
बिराजे भगवंत जे...तेने नमावुं शीष.
(उखाणानां जवाबमां जोडणीदोष चलावी लेवामां आव्या छे.)
फागण सुद १३ पहेलांं जेमना जवाब आवी गया हशे तेमने ‘सम्यक्त्वकथा’
पुस्तक भेक मोकलाशे; अगर रूबरू लई जवुं. सरनामुं: संपादक आत्मधर्म, सोनगढ
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गतांकना जवाब:– पानुं: ९, ८, १०, १७, २४, १४, ८, २, १ भगवाननां
नाम : सीमंधरभगवान, नेमनाथ भगवान, महावीर भगवान.
मंगल कामना
क्षेमं सर्वप्रजानां प्रभवतु बलवान् धार्मिको भूमिपाल:;
काले काले च सम्यग्वर्षतु मघवा व्याधयो यान्तु नाशम्;
दुर्भिक्षं–चौरमारी–क्षणमपि जगतां मास्मभून्जीवलोके,
जैनेन्द्रं धर्मचक्र प्रभवतु सततं सर्वसौख्यप्रदायि.
श्री जिनेन्द्र भगवाननी पूजा करीने श्रावक मंगल भावना भावे छे. के
अहो, जगतमां सर्व जीवोने सुख देनारुं श्री जिनेन्द्रभगवाननुं धर्मचक्र,
जगतमां सतत प्रवर्तो...श्री जैनशासनना प्रतापे सर्वे प्रजाजनोनुं कल्याण
थाओ; राज्यनुं पालन करनारा धार्मिक अने बळवान हो; देशमां सुकाळ हो
ने व्याधिनो नाश पामो, दुर्भिक्ष–चोरी–मरकी वगेरे कोई उपद्रव आ
जगतमां एकक्षण पण न हो. अहो, आवुं कल्याणकारी जैनशासन जयवंत
वर्तो. जिनेन्द्रदेवना पंचकल्याणक जगतना जीवोनुं कल्याण करो.
मंगलवधाई: छापतां समाचार मळे छे के परमागम–मंदिरमां बिराजमान थनार
वर्द्धमान भगवाननी सवापांच फूटनी भव्य प्रतिमा ता. १६ मीए तैयार थई जशे, ने
लगभग ता. १९मीए सोनगढ पधारवानो संभव छे.