Atmadharma magazine - Ank 365
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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फागण : २५०० : आत्मधर्म : ७:
१ कुमारिका बहेनोए लीधेली ब्रह्मचर्यनी दीक्षा
फागण सुद १३ नां रोज सोनगढमां पू. गुरुदेव श्री कानजीस्वामी
समक्ष नीचेना कुमारिका बहेनोए आत्महित ना लक्षे
आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे: –
१. उषाबेन (वृजलाल जीवणलाल शेठनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. ३०) अमदावाद
र. मधुबेन (मनसुखलाल छोटालालनी सुपुत्री B. A. उ. व. ३०) मुंबई
३. सुमित्राबेन (भाईलाल घेलाभाईनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. ३०) मद्रास
४. जिनमतीबेन (छोटालाल रायचंदनी सुपुत्री B. A. उ. व. र८) चुडा
प. गुणवंतीबेन (पानाचंद गोविंदजीनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. र७) अडताला
६. लताबेन (पोपटलाल छगनलालनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. र७) लींबडी
७. नीलाबेन (त्रंबकलाल हिंमतलालनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. र७) सुरेन्द्रनगर
८. विमलाबेन (रीखवदास कपुरचंदनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. र६) मुंबई
९. सुलोचनाबेन (शांतिलाल गीरधरलालनी सुपुत्री S.S.C. उ. व. रप) सोनगढ
१०. मालतीबेन (हिंमतलाल हरगोविंददासनी सुपुत्री B.A. उ. व. र४) भावनगर
११. पुष्पलताबेन (फूलचंदजी झांझरीनी सुपुत्री B. A. उ. व. र१) उजजैन
– आ बधा सुशिक्षित बहेनो जैनधर्मनां उत्तम संस्कार धरावे छे;
अनेक वर्षोथी तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करे छे; गुरुदेवना प्रवचनमां
अध्यात्मरसनी जे शांतधारा वहे छे–तेनी मीठास पासे संसारना
विषयो अत्यंत नीरस छे–एम समजीने, चैतन्यरसनी साधना माटे
जीवन वीताववानी भावना तेओने जागी छे; पवित्रात्मा