स्तब्ध थईने गुरुमुखे झरतो जिनवाणीनो रस पी रह्या छे.
वाह! केवो मधुर चैतन्यरस भर्यो छे आ जिनवाणीमां!
आवा जिनवाणी माताजी आजे परमागम मंदिरमां पधार्या
छे, ने भक्तोना हैया हर्षविभोर बनी रह्या छे. गुरुदेवना
प्रवचननो उमळको आज कोई अनेरा भावथी उल्लसी रह्यो
छे. गुरुदेव कहे छे के: भगवान महावीरनां उपदेशमां आ
आव्युं हतुं, ने सीमंधर परमात्मा पण आवो ज उपदेश
अत्यारे दई रह्या छे के आत्माना उपयोगमां ज्ञानक्रिया ते
अहिंसा छे, ने रागक्रिया ते हिंसा छे. –आवो उपदेश ते ज
वीतरागतानो उपदेश छे, ने वीतरागतानो उपदेश ते ज ईष्ट
उपदेश छे.
उजव्यो. प्रभुना पंचकल्याणकनो महोत्सव एटले सर्वे जीवोने माटे शांतिनो महोत्सव.
शांतिनो आ महोत्सव खरेखर अनेरी शांतिपूर्वक उजवायो. जगत ज्यारे भडके बळतुं
हतुं त्यारे वीतराग देवनी छायामां आवेला भव्यजीवो सुवर्णपुरीमां अनेरी ठंडक
अनुभवता हतां.