Atmadharma magazine - Ank 365
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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:२: आत्मधर्म फागण : २५०० :
धर्मवृद्धिकर वर्द्धमानदेव
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प्रणमन करुं हुं धर्मकर्ता तीर्थ श्री वर्द्धमाने
जेमना निर्वाण–महोत्सवनुं रप०० मुं वर्ष चाली रह्युं
छे एवा श्री महावीर भगवान (ऊंचाई ६३ ईंच) सोनगढ
परमागममंदिरमां बिराजी रह्या छे, ने प्रभुनां पंचकल्याणकनो
मंगल–उत्सव आनंदथी पूर्ण थयो छे.
नमः श्री वर्द्धमानय निर्द्धूत कलिलात्मने।
सालोकानां त्रिलोकानां यत्विद्यादर्पणायते।।
आ स्तुतिमां श्री समन्तभद्रस्वामी कहे छे के जेमणे
आत्माना कलंकने धोई नाख्या छे अने जेमनी
केवळज्ञानविद्यामां त्रणेलोक तेमज अलोक दर्पणवत् प्रतिभासे
छे, एवा श्री वर्द्धमानस्वामीने नमस्कार हो.
हे भगवान! सम्यग्द्रष्टि ज आपने साचा स्वरूपे
ओळखीने पूजे छे. मिथ्याद्रष्टि आपने ओळखतो नथी.
ओळखवा जाय तो मिथ्यात्व रहेतुं नथी; एक ज चित्तमां
आपने अने मिथ्यात्वने साथे रहेवामां विरोध छे.