Atmadharma magazine - Ank 365
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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फागण : २५०० : आत्मधर्म : ३:
परमागमना प्रणेता प्रभु! पधारो. पधारो!
अहो, शुद्धोपयोगी संत प्रभु कुंदकुंदस्वामी!
जेम प्रवचनसार–परमागममां, मोक्षलक्ष्मीना
स्वयंवर–मंडपमां शुद्धोपयोगना बळे पंचपरमेष्ठी
भगवंतोनो साक्षात्कार करीने आपे तेमने अद्वैत नमस्कार
कर्यां छे ने ए रीते अपूर्व मंगलाचरण कर्युं छे, तेम–
–आ परमागममंदिरना मंगल महोत्सवमां आप
साक्षात् पधार्या छो, ने परमागममंदिरमां बिराज्यां छो;
प्रभो! आपश्रीए आपेली शुद्धात्मप्रसादी वडे आपनो
साक्षात्कार करीने कहानगुरु अने अमे सौ भक्तजनो
आपनुं मंगल स्वागत करीए छीए....
“पधारो.... जिनराज.... पधारो ”
आपना शासननी कहानगुरुद्वारा महान प्रभावना थई रही छे.