भगवंतोनो साक्षात्कार करीने आपे तेमने अद्वैत नमस्कार
कर्यां छे ने ए रीते अपूर्व मंगलाचरण कर्युं छे, तेम–
प्रभो! आपश्रीए आपेली शुद्धात्मप्रसादी वडे आपनो
साक्षात्कार करीने कहानगुरु अने अमे सौ भक्तजनो
आपनुं मंगल स्वागत करीए छीए....
Atmadharma magazine - Ank 365
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).
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