:४: आत्मधर्म फागण : २५०० :
महावीर भगवानना रप०० मा निर्वाणमहोत्सवना वर्षमां तैयार थयेल
सोनगढनुं परमागम – मंदिर
“मगल – उत्सव अज ज शरू कर”
भारतमां अजोड एवुं भव्य परमागम मंदिर सोनगढ मां
बंधायुं छे; तेनो मंगल उत्सव आनंदथी उजवाई गयो छे. आ
मंदिरमां कोण बिराजे छे?
अढीहजार वर्ष पहेलांं जेमना श्रीमुखथी वीतरागी
परमागम झर्या एवा महावीरभगवान आ परमागममंदिरमां
बिराजे छे. अहा! केवी अद्भुत शांत गंभीर एमनी मुद्रा छे?
आनंदमय आत्मानी झलक त्यां देखाय छे.
श्री जिनवाणी साक्षात् झीलीने, अने तेने समयसारादि
परमागममां गूंथीने तेना द्वारा जेमणे भव्यजीवोने परम आनंदनी
भेट आपी छे, एवा कुंदकुंदाचार्य भगवान परमागम मंदिरमां
बिराजे छे: साथे अमृतचंद्राचार्य अने पद्मप्रभमुनिराज पण
बिराजे छे.