लागती. रागना काळेय अंशे शुद्ध परिणतिनी शांति तो तेने सदाय वर्तती होय छे.
एककोर चैतन्यना आनंदना उछाळा, ने बीजीकोर रागनो कलेश,–बंने साथे रहेवामां
साधकने विरोध नथी. भक्ति वगेरेनो राग आवे, विकल्प आवे, पण शांतिना आधारे
ते राग नथी, ने रागना आधारे जराय शांति नथी; बंने साथे होवा छतां तेओ
एकबीजाना आधारे नथी. एकमां शुद्धस्वतत्त्वनो आश्रय छे, ने बीजामां परद्रव्यनो
आश्रय छे. बापु स्वद्रव्यना आश्रये वीतरागतानो निर्णय तो एकवार कर. मोक्षमार्ग
वीतरागभावरूप ज छे; रागरूप मोक्षमार्ग नथी–आवा मार्गनी प्रसिद्धि भगवानना
शासनमां ज छे. ने आवो मार्ग ते ज ईष्ट मार्ग छे.
आत्मा पावन थयो.
पामी संसार छोड्यो; लौकांतिक देवोए तथा ईन्द्रोए आवीने प्रभुनी दीक्षानो
उत्सव कर्यो. ए बधा द्रश्यो सवारमां नीहाळ्या; त्यारपछी दीक्षाप्रसंगे वनगमन
माटे प्रभुनी भव्य सवारी नीकळी. जैनधर्मनो आवो प्रभाव देखीने लोको स्तब्ध
बनी जता हता. आजे बहारथी आवेला यात्रिकोनी संख्यानो अंदाज एकवीस
हजार जेटलो बोलातो हतो. प्रभुनी दीक्षाविधि सोनगढना चारित्र–आश्रममां
आवेला एक सुंदर आम्रवृक्ष नीचे थई हती.