Atmadharma magazine - Ank 366
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: ३२ : आत्मधर्म : चैत्र : २५००
१० देवी:–अहो, बलिहारी छे तीर्थंकरोनी, के जेमणे पोते आवो वीतरागमार्ग साध्यो
अने जगतने पण बताव्यो.
१० देव:–अहा, केवो सुंदर मार्ग छे. मनुष्य थईने आनंदथी आवा मार्गने साधतां
साधतां मोक्षमां जईशुं.
११ देवी:–अरेरे, आवा सुंदर मार्गने पण जगतना अज्ञानी जीवो निंदे छे. अरे, आवो
मार्ग सांभळवानी पण ना पाडे छे!
१२. देव:–भगवानना आवा सुंदर मार्गने पण कोई निंदे तो निंदो, पण मुमुक्षुजीवो
जिनमार्गनी भक्ति कदी छोडता नथी, साचा मार्गथी कदी डगता नथी.
१२. देवी:– अहा, आवा सुंदर वीतरागमार्गने प्रसिद्ध करवा माटे ज तीर्थंकरोनो
अवतार छे. माटे आपणे भक्तिथी आवा मार्गने साधीने आत्महित करवुं.
१२ देव:–जिनेन्द्र भगवाननो मार्ग परम सुंदर छे –
पण कोई सुंदर मार्गनी ईर्षा करे निंदा वडे;
तेनां सुणी वचनो करो न अभक्ति जिनमारग विषे.
१३ देवी:–अहा, आज तो महावीर तीर्थंकरना अवतारनो मंगल दिवस छे. भगवानना
कल्याणक एटले आत्मानुं कल्याण करवानो अवसर!
१३ देव:–अहा, धन्य छे प्रभो! आपनो अवतार धन्य छे. जगतने वीतरागविज्ञाननो
महान संदेश आपवा आप अवतर्या छो.
१४ देवी:–खरेखर वीतरागविज्ञाननी प्राप्ति ए ज भगवाननी साची भक्ति छे.
१४ देव:–धर्मात्माओ भेदज्ञानवडे सदाय एवी भक्ति करी रह्या छे.
१५ देवी:–बराबर छे; आजे महावीरप्रभु जन्म्या तेमने पण आवुं भेदज्ञान वर्ती ज
रह्युं छे.
१५ देव:–अहा, भगवान तो हजी एक दिवसना बाळक छे, छतां ते पण पोताना
चैतन्यस्वभावने उपासी रह्या छे.
१६ देवी:–एवा भेदविज्ञान–भगवाननो जन्मोत्सव करवानो आजे अवसर आव्यो छे.
१६ देव:–वाह रे वाह! भगवानने ओळखीने भवथी तरवानो आ महान अवसर छे.