Atmadharma magazine - Ank 366
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : चैत्र : २५००
महावीर भगवाननो मंगल अवतार
अनंत आनंदने पोते साध्यो...ने जगतने आनंदनो मार्ग बताव्यो
महावीर भगवानना मंगल जन्म दिवसे चैत्रसुद तेरसे
राजकोटमां वहेली सवारमां गुरुदेवे कह्युं के अहो! अनंत–
अनंत आनंदस्वरूप आत्मा छे, तेमां सन्मुखता थवी ते
मंगळ छे. आनंदस्वरूपमां सन्मुखता थतां ज परभावोथी
विमुखता थई जाय छे, ने आत्मामां मोक्षना भणकार आवी
जाय छे. जन्मीने भगवान महावीर आवा आनंदस्वरूपने
पाम्या....ने जगतने तेवा आनंदनो उपदेश आप्यो.–आवा
भगवानना जन्मकल्याणकनो आजे मंगल दिवस छे. ते मंगल
दिवसनुं आ प्रवचन छे.
(चैत्र सुद १३ राजकोट : पू. गुरुदेवनुं प्रवचन समयसार गा. २९४)
×××××
जन्म तो तेनो सफळ छे के जेणे फरीने जन्मवानुं बंध कर्युं. भगवान महावीर
आ अवतारमां जन्मीने सिद्धपदने पाम्या. पावापुरीमां जे क्षेत्रेथी प्रभु मोक्ष पाम्या त्यां
उपर लोकाग्रे प्रभु सादि अनंतकाळ सुधी सिद्धपदमां बिराजे छे. पहेलवहेला सं. २०१३
मां त्यां यात्रा करवा गया हता.–एवा सिद्धक्षेत्रनी यात्रा करतां प्रभुनी स्मृति थाय छे के
अहो! भगवान आनंदस्वरूपमां लीन थईने अहींथी सादिअनंत सिद्धपदने पाम्या.
आवा महावीर भगवानना जन्मनो आजे मंगळ दिवस छे.
भगवान महावीर ३० वर्ष कुमार अवस्थामां रह्या, पछी मुनि थई साडाबार
वर्ष मुनिदशामां विचर्या; ने पछी केवळज्ञान पामीने ३० वर्ष सुधी अरिहंतपदे रहीने
जगतने कल्याणनो उपदश आप्यो. ते भगवान महावीरे केवळज्ञान थया पछी
समवसरणमां जे उपदेश आप्यो तेनो अंश आ समयसारमां छे; तेमां मोक्षना उपायरूप
भेदज्ञान केम थाय, तेनी वात चाले छे, प्रथम तो आत्मानुं स्वलक्षण चैतन्य छे; ने
बंधनुं लक्षण रागादिक छे. रागादिकभावोने बंध साथे समपणुं छे, आत्माना चेतन–