शी वात! आम आनंदोत्सवपूर्वक हजारो भव्यजीवो प्रभुना जन्मोत्सवमां भाग लई
रह्या छे. नानी नगरीमां मोटो उत्सव थई रह्यो छे. स्वर्गथी ईन्द्रो ऊतरी पड्या छे.
पांच हाथी, पंचपरमेष्ठीनी भक्तिनी मस्तीथी डोली रह्या छे; “भगवाननी सवारी
मारा उपर” एवा महान गौरवथी पेलो हाथी एवो मस्तान बनी गयो छे...के बस!
(चंपाबेन अने शांताबेन) पण हाथी उपर बेसीने भक्तिपूर्वक भाग लेता हता.
प्रभुनी सवारी देखीने आनंद थतो हतो, ने ईन्द्रो तांडवनृत्य करीने पोतानो हर्ष प्रगट
करता हता.