
बतावेलो मार्ग जैनसमाजमां घरेघरे प्रचार पामे, ने
जैनसमाजनुं नानुं बच्चुं पण महावीरप्रभुना मार्गने जाणे.
निर्वाण–महोत्सवनो मोटो महेल चणवा माटेना पायारूपे
जैनसमाजमां सर्वत्र वीरमार्गनुं साचुं तत्त्वज्ञान होवुं
जरूरी छे. तत्त्वज्ञानना प्रचार माटे नानी पुस्तिकाओनी
श्रेणी प्रकाशित करवानी योजना ‘अहिंसा परमो धर्म’
नामना पुस्तकना प्रकाशन वडे शरू थई छे. ते पुस्तिकाना
लेखो सौने खूब उपयोगी होवाथी अहीं आपवामां आव्या
छे. बंधुओ, जगतना सामान्य जीवो (गांधीजी वगेरे)
जेने अहिंसा माने छे तेना करतां, महावीरप्रभुए कहेला
अहिंसा धर्मनुं स्वरूप तद्न अलौकिक जुदी जातनुं छे. प्रभु
महावीरना मार्गने जगतना बीजा कोईनी साथे
सरखाववो ते महावीरदेवनुं अपमान (अवर्णवाद) करवा
सरखावशो नहि. आपणा महावीर भगवाने जे लोकोत्तर
अहिंसाधर्म कह्यो छे ते मोक्षनुं कारण छे, ते अहिंसाधर्मनुं
सत्यरूप अहीं प्रसिद्ध कर्युं छे. (सं.)