Atmadharma magazine - Ank 367
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: १६ : आत्मधर्म : वैशाख : २५००
शत्रुंजयगिरि पर पांच पांडवो ध्यानमां उभा छे. तेमांथी
त्रण तो वीतरागी अहिंसा वडे मोक्ष पाम्या. अने बे पांडवोने
सूक्ष्मरागरूप हिंसा रही जवाथी संसारमां भव करवो पड्यो.
आ द्रष्टांत एम सिद्ध करे छे के कोई पण प्रसंगे
वीतरागभावरूप शांति ते ज उत्कृष्ट धर्म छे अने ते ज ईष्ट छे.
राग, भले गमे ते कोटीनो हो पण ते ईष्ट नथी, तेमां शांति
नथी, एटले ते अहिंसा नथी.