Atmadharma magazine - Ank 367
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 31 of 69

background image
: २० : आत्मधर्म : वैशाख : २५००
आ एक ज चित्रमां, संसारनी चारगति अने मोक्षरूप पंचमगति आप जोई
शकशो. तेनां कारणनो विचार करशो तो तमने अहिंसाधर्मनुं रहस्य समजाशे.
(१) प्रशस्तकषायरूप हिंसावाळा भूंडने स्वर्गमां भव.
(र) अप्रशस्तकषायरूप हिंसावाळा वाघने नरकमां भव.
(३) कषायरहित वीतरागी अहिंसक मुनिराजनुं मोक्षगमन.