Atmadharma magazine - Ank 369
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 7 of 37

background image
: : आत्मधर्म : अषाढ : २५००
अमृतचंद्रस्वामीए (गा. २१२–२१३–२१४ मां) आ वात अत्यंत स्पष्ट समजावी छे के
आ आत्माने जे अंशथी सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र छे ते अंशथी तेने बंधन थतुं नथी;
अने जे अंशथी तेने राग छे ते अंशथी तेने बंधन थाय छे.
येनांशेन सुद्रष्टिः तेन अंशेन अस्य बन्धनं नास्ति।
येनांशेन तु रागः तेन अंशेन अस्य बन्धनं भवति।।
(आ रीते सुद्रष्टि नी जेम ज्ञान अने चारित्रनी गाथाओ पण समजी लेवी.)
सम्यग्द्रष्टि जीवने शुद्धज्ञान अने रागादि क्रिया बंने एकसाथे छे. अज्ञानी पूछे छे
के जो शुभक्रिया पण मोक्षनुं कारण नथी, एकला बंधनुं ज कारण छे, तो पछी सहारो
कोनो रह्यो? तेनो खुलासो ए छे के हे भाई! ज्ञानीनी दशानी तने खबर नथी. जे काळे
शुभाशुभराग–क्रिया वर्ते छे ते ज काळे सम्यग्द्रष्टिने शुद्धस्वरूपना अनुभवनुं ज्ञान पण
वर्ते छे, ने ते शुद्धज्ञाननो ज सहारो छे, ते ज मोक्षनुं कारण थाय छे. जे काळे राग छे ते
काळे ज शुद्धज्ञानथी धर्मीने कर्मनो क्षय थाय छे.
अहो! जुओ आ ज्ञानीनी अद्भुत दशा! एक तरफथी बंधन थाय छे, ने एक
तरफ ते ज वखते मोक्ष पण थतो जाय छे. धर्मीनी आवी आ श्चर्यकारी दशा छे.
वीतरागता अने केवळज्ञान न थाय त्यांसुधी साधकदशामां रागादि क्रियाना परिणाम
तथा आत्माना श्रद्धा–ज्ञान–आनंदना शुद्धपरिणाम–ए बंनेनुं एक ज काळे एक ज
पर्यायमां अस्तित्व छे, एक पर्यायमां बंनेने साथे रहेवानो विरोध नथी; राग साथे रहे
तेथी ज्ञान कांई अज्ञानरूप के रागरूप थई जतुं नथी; ने ज्ञान साथे शुभराग रहे तेथी
कांई ते राग मोक्षनुं साधन थई जतो नथी. ज्ञानीने एक ज काळे ज्ञाननी शांतिनुं
वेदन, ने रागादिनी अशांतिनुं वेदन, वर्ते छे.–साधकदशामां साधकभाव ने बाधकभाव
बंने एकसाथे होवाथी आ वातमां कोई विरोध नथी. एक ज जीवमां एककाळे बंने
धारानुं अस्तित्व, अने छतां बंनेनुं स्वरूप तद्न्न जुदुं, एक मोक्षनी क्रिया ने बीजी
बंधनी क्रिया;–एने ज्ञानी ज ओळखी शके छे. ज्ञानीनी आवी दशानी साची ओळखाण
करे तेने ज्ञान अने रागनुं भेदज्ञान जरूर थाय.
ज्ञान ने राग जोके एकबीजाथी विरुद्ध स्वभाववाळां छे, ज्ञानमां राग नथी,
रागमां ज्ञान नथी,–एम बंने एकबीजाथी तद्न विरोधी होवा छतां, एक ठेकाणे बंनेने
साथे रहेवामां तेओ विरोध करता नथी, बंने पोतपोताना स्वरूपे रहे