Atmadharma magazine - Ank 370
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण–भाद्र : रप०० आत्मधर्म : १७ :
[अनुसंधान पुष्ठ ४ थी]
तथा पू. बहेनश्रीबेननी विशिष्ट गुरुभक्ति सौने अति प्रमुदित करतां हतां.
त्यार बाद आश्रमना स्वाध्यायभवनमां समस्त मुमुक्षुमंडळ पू. बहेनश्रीनां
दर्शन करवा आव्युं हतुं. आ प्रसंगे मुमुक्षु भाईओए सर्वप्रथम पूज्य बहेनश्रीने
आत्मार्थबोधक कंईक मंगळ वचनो संभळाववा प्रार्थना करी हती. पूज्य गुरुदेवनी
मंगळ वाणीमां बधुं आवी जाय छे–एम कहीने पू. बहेनश्रीए ज्ञायकनी महत्ता, तेना
सिवाय अन्य सर्वनी तुच्छता तथा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनी आराधनानो महिमा
वगेरे असरकारक सचोट रीते व्यक्त करता थोडा आत्मस्पर्शी शब्दो उच्चार्या हता.
दर्शननो आ शुभ प्रसंग पण भक्तिगीतो तथा जयकारना गगनचुंबी मधुरा नादोथी
वातावरणने भरी देतो हतो. पोतानी अनन्य धर्ममाता प्रत्ये सर्वस्वार्पण–भावप्रेरीत
हावभावथी व्यक्त थतां ब्रह्मचारी बहेनोनां श्रद्धा–भक्ति–उल्लास उत्सवनी
धर्मप्रभावकतामां विशेष अभिवृद्धि करतां हतां.
आ शुभोत्सवनी खुशालीमां श्रावण वद बीजना रोज–पू. बहेनश्रीना मंगल
जन्मदिने–जामनगरनिवासी श्री छबलबेन फूलचंद तंबोळी तरफथी ‘साधर्मीवात्सल्य’
हतुं. आ हीरक जयंती–महोत्सवनी खुशालीमां आजे श्री सविताबेन व्रजलाल डेलीवाळा
तरफथी दरेक वर्षे पूज्य बहेनश्रीना जन्मदिने ‘साधर्मीवात्सल्य’ राखवानुं हर्षोल्लास
साथ जाहेर करवामां आव्युं हतुं. आ मंगल महोत्सवना हर्षोपलक्ष्यमां श्री दिगंबर जैन
स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट–संस्था तरफथी आखा गाममां घर दीठ पांच–पांच पेंडानी लहाणी
करवामां आवी हती.
रात्रे महिला–मुमुक्षुसमाजमां पूज्य बहेनश्रीनुं अध्यात्मरसझरतुं आत्मस्पर्शी
वांचन थयुं हतुं. त्यार बाद पूज्य बहेन शान्ताबेनना वांचन पछी ब्रह्मचारी बहेनो
वगेरे द्वारा प्रस्तुत प्रसंगद्योतक मांगलिक भक्तिगीतो ईत्यादिपूर्वक आजनो आ
आनंदकारी हीरक जन्मजयंती–महोत्सव सानंद पूर्णताने पाम्यो हतो.
आ रीते आत्मार्थी भक्तजनोने आह्लादकारी एवो आ मंगलमय हीरक
जयंती–उत्सव सुवर्णपुरीमां जयजयकारपूर्वक उजवाई गयो.