Atmadharma magazine - Ank 370
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 28 of 49

background image
: श्रावण–भाद्र : रप०० आत्मधर्म : र१ :
स्व नथी.–आम धर्मी शुद्ध द्रव्य–गुण–पर्यायमां तन्मय पोताने अनुभवे छे. तेनी
अनुभूतिमां द्रव्य–गुण–पर्यायना भेद पण नथी. आवी आत्मअनुभूति ते
मोक्षमार्ग छे. सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र त्रणे आवी अनुभूतिमां समाय छे.
* हे जीव, अनंतकाळथी संसारनी चारगतिमां भमतां जेवुं सुख तुं क्यांय नथी
पाम्यो, तेवुं अद्भुत सुख चैतन्यनी अनुभूतिमां तने प्रत्यक्ष वेदनमां आवशे,
केमके आत्मा अद्भुत सुखनो निधान छे.
* भाई, तुं चैतन्यसत्ता छो; जेटला चैतन्यपर्यायो छे तेनाथी भिन्न आत्मसत्ता
नथी, एक ज सत्त्व छे. पर्यायना भेदनो विकल्प छूटी जतां, पर्यायो कांई
आत्माथी जुदी नथी पडी जती; अनुभूतिस्वरूप आत्मामां द्रव्य–गुण–पर्यायना
भेद मटीने त्रणेथी अभेद एवुं ज्ञायकस्वरूप प्रसिद्ध थाय छे. भेदो जेमां
समायेला होवा छतां जे अभेदपणे अनुभवाय छे एवुं अद्भुत अनेकांतस्वरूप
मारुं तत्त्व छे,–एम धर्मीजीव स्वतत्त्वने शुद्धद्रष्टिमां ल्ये छे.
* उपसर्ग प्रतिकूळ अने अनुकूळ बंने प्रकारनां होय छे; जेम प्रतिकूळता वच्चे
ज्ञानीनुं ज्ञान घेरातुं नथी, तेम अनुकूळता वच्चे ज्ञानीनुं ज्ञान ललचातुं नथी.
आ रीते अनुकूळतामां के प्रतिकूळतामां ज्ञानीनुं ज्ञान पोताना स्वध्येयने वळगी
रहे छे ने तेमां ज बुद्धिने प्रेरे छे, ते ज परम धीरता छे...स्व–ध्येय प्रत्ये बुद्धिने
जोडवी ते ज साचुं धैर्य छे. कोई प्रसंगे ज्ञानीनी बुद्धि स्वध्येयथी डगती नथी;
एवा धीर ज्ञानी मोक्षने साधे छे.
* अहो, जिनमार्गी संतो रत्नत्रयना खीलेलां आनंदमय पुष्पोथी शोभे छे, ने
जगतने उपकार करे छे, जेम उत्तम वृक्ष स्वयं पत्र–पुष्पथी पल्लवित शोभे छे ने
तेनी शीतळछायामां आवेला जीवोने पण छायो आपीने ते परोपकार करे छे; तेम
चैतन्यसाधक मुनि ते धर्मनुं मधुरुं वृक्ष छे, ते पोते तो आनंदमय रत्नत्रयपुष्पो
वडे पल्लवित थईने शोभे छे, तेमज तेमनी वीतरागी छाया लेनारा भव्यजीवोने
पण शांतिनो मार्ग बतावीने परोपकार करे छे. धन्य ते मुनिवरा!
जेम झाड कोई जातना भेदभाव वगर बधाने छायो ज आपे छे, पापी
हो के धर्मी हो, बधायने राग–द्वेष वगर ते छायो ज आपे छे, तेम ज्ञानी–संतो
निस्पृहपणे सर्वे जीवोने वीतरागी शांतिनुं ज निमित्त थाय छे, बधायने
चैतन्यना हितनो मार्ग देखाडे छे.