जगतनो सर्वोत्कृष्ट मंगल महोत्सव छे.–आवो उत्सव, अने तेमां पण अढीहजार वर्षनी
पूर्णतानो भव्य उत्सव, आपणा जीवनना अवसरमां ज उजववानुं सौभाग्य आपणने
मळी रह्युं छे.–तो अंतरमां आपणे आपणा आत्माने मोक्षसन्मुख करीने, अने बहारमां
तन–मन–धन–सर्व प्रकारथी, आ महान मोक्षउत्सवने शोभावीए...ने वीरनाथना
शासननी खूब–खूब सेवा करीए ते आपणुं कर्तव्य छे; ने तेमां आपणे समस्त जैनो
एकमत छीए.
मार्गने साधवा माटे तत्पर बनीए, ने तेनो प्रचार करीए. महावीर प्रभुना सर्वोत्कृष्ट
वीतरागमार्गने जगतना बीजा कोई मार्ग साथे न सरखावीए, बीजा मार्ग तरफ न
जईए, ने महावीरप्रभुना ज मार्गे जईए.–आ मूळभूत पायो दरेक जैनमां हशे तो ज
आपणे महावीरभगवानना मोक्षना भव्य उत्सवनो महेल तैयार करी शकीशुं.
महावीरभगवान आजे आपणी सन्मुख बिराजी रह्या छे, ने आपणे सौ प्रभुना
धर्मदरबारमां बेठा