Atmadharma magazine - Ank 371
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: द्वि. भाद्र : २५०० आत्मधर्म : १३ :
अनुग्रह करवामां समर्थ छे. भगवाननी वाणीनी वात अहीं न लीधी. पण
सीधी भगवानना आत्मानी वात लीधी; भगवानना आत्माने प्रगटेली
अनंतशक्तिरूप परमेश्वरता जगत उपर उपकार करवा समर्थ छे. एटले ते
परमेश्वरताने जे समजे तेने तेवी परमेश्वरता प्रगटे, अने तेमां भगवाननो उपकार छे.
भगवान तो त्रणलोकना जीवोने अनुग्रह करवा समर्थ छे,–एटले जे कोई जीवो
भगवाननी वीतरागी परमेश्वरताने ओळखे छे तेने पोतानो आत्मा स्वसंवेदनप्रत्यक्ष
थईने मोक्षमार्ग प्रगटे छे; एवो मोक्षमार्ग पोतामां प्रगट करीने धर्मात्मा कहे छे के
अहो, अमारा उपर तो भगवाननो महान अनुग्रह छे; अमे स्वसंवेदनथी आत्माने
प्रत्यक्ष कर्यो, ने भगवाने तेम करवानुं ज कह्युं, तेथी भगवाननो अमारा उपर परम
अनुग्रह थयो, आवो अनुग्रह करनारा भगवानने नमस्कार करुं छुं.
भगवान पोते तीर्थस्वरूप होवाथी योगीओने तारवाने समर्थ छे. भगवान
पोते भवथी तर्या छे ने जे योगीओ निजस्वरूपमां उपयोगने जोडीने भवथी तरी रह्या
छे तेमने तारवाने भगवान समर्थ छे. स्तुतिकार कहे छे के हे भगवान! तरवानो उपाय
तो अमे करीए ने तमे अमने तारनारा कहेवाओ–तेमां तो शुं नवाई! परंतु अमारा
पुरुषार्थ कर्या वगर तमे अमने तारी द्यो–तो तारनारा खरा! अमे पुरुषार्थ करीए ने
अमे तरीए–तेमां शुं आश्चर्य!–एटले के भगवानने तारनारा कहेवा ते तो निमित्तनुं
कथन छे. पोताना स्वरूपमां उपयोगने जोडे तेने माटे भगवान तारनारा छे. पण जे
पोतानो उपयोग जिनस्वरूपमां जोडतो नथी ते पोते तरतो नथी, ने निमित्तपणेय
भगवान तेने तारनारा कहेवाता नथी; भगवानने ते ओळखतोय नथी. अहीं तो
भगवाननी ओळखाणपूर्वकना नमस्कारनी वात छे,–तेमां पोतानी ओळखाण पण
भेगी ज छे. सौथी पहेलांं ज ‘स्वसंवेदनप्रत्यक्ष ज्ञानस्वरूप एवो हुं’ एम पोताना
आत्माने पंचपरमेष्ठीनी नातमां भेळवीने शरूआत करी छे.
वळी भगवान केवा छे? के धर्मकर्ता छे; धर्म एटले शुद्ध स्वरूपपरिणति–तेना
कर्ता छे. पोताना आत्मानी शुद्धपरिणतिना कर्ता छे; ने बीजा जीवोने पण तेवी
शुद्धपरिणतिरूप धर्मनो उपदेश दीधो छे. ते भगवान परम भट्टारक छे; केवळज्ञानरूपी
सूर्यनुं तेज जेमने खीली गयुं छे, ते केवळी भगवानने भट्टारक कहेवाय छे. वळी
भगवान महान देवाधिदेव छे, परमेश्वर छे, परमपूज्य छे; अने ‘वर्द्धमान’ एवा सुंदर
नामना धारक छे. ‘वर्द्धमान’ एवुं खास नाम लईने कुंदकुंदाचार्यदेवे नमस्कार