भेदज्ञान अने वीतरागता करावे छे ने ए रीते मोक्षमार्ग देखाडीने
जीवोनुं परम हित करे छे,–तेमां ज छे. वीरप्रभुए बतावेलो आवो
हितमार्ग पोते समजवो ने जगतमां तेनो प्रचार थाय तेम करवुं ते
ज प्रभुना मोक्षमहोत्सवनी साची उजवणी छे. (सं.)
गुण–द्रव्य–पर्ययस्थित ने अस्तित्वसिद्ध पदार्थ छे. १०.
हयाती ज रहेती नथी. परिणाम विना वस्तु हयाती धरती नथी, कारण के वस्तु द्रव्यादि
वडे परिणामथी जुदी अनुभवमां आवती नथी–जोवामां आवती नथी.
विशेष, के विशेष वगरनुं सामान्य होतुं नथी. एक ज वस्तुना आश्रये रहेलां द्रव्य ने
पर्याय, तेमने सर्वथा जुदा मानतां वस्तुनुं अस्तित्व ज साबित थई शकतुं नथी.–माटे
परिणाम अने परिणामी बंने स्वरूपे वस्तुने एकसाथे जो. वस्तुना परिणाम अने
परिणामी अन्य वस्तुथी तो सदाय जुदा छे, पण पोतानी वस्तुथी तेओ जुदा नथी,
वस्तु पोते ज परिणामस्वभावी छे. वस्तु पोताना द्रव्य–गुण–पर्यायमां वसेली छे,
उत्पाद–व्यय–ध्रुवतारूप सत्पणुं ते ज वस्तुना स्वरूपनुं अस्तित्व छे. पर वस्तुना
संयोगमां कांई वस्तुनुं अस्तित्व नथी; एटले तेनो वियोग थतां पण वस्तुना
अस्तित्वने कोई बाधा पहोंचती नथी.