: ३८ : आत्मधर्म : द्वि. भाद्र : २५००
महावीर – परिवार
आत्महित माटे छ बोलनुं पालन करवानो संकल्प करनार भाई–बेनोनां नाम
अहीं आप्यां छे. आप पण जल्दी आ परिवारमां दाखल थई जाओ.
१२७ चंपाबेन जैन वडीया १४२ नयनाबेन जयंतिलाल जैन वढवाणसीटी
१२८ उषाकुमारी केशवलाल जैन वडीया १४३ मनोज अमृतलाल घेलाणी मुंबई – २२
१२९ कंचनबेन के. जैन वडीया १४४ सरोजबेन अमृतलाल शाह वढवाणसीटी
१३० वाडीलाल आर. जैन वढवाणसिटी १४५ शकरालाल हेमचंद गांधी सोनासण
१३१ ललीताबेन वाडीलाल जैन वढवाणसीटी १४६ चंदनबेन शकरालाल गांधी सोनासण
१३२ रंजनबेन वाडीलाल जैन वढवाणसीटी १४७ सुरेशचंद्र जे. जैन मुंबई
१३३ वाडीलाल रूगनाथभाई जैन वढवाणसीटी १४८ सरस्वतीबेन चंदुलाल जैन कोचीन
१३४ हर्षाबेन चंदुलाल जैन वढवाणसीटी १४९ वर्षाबेन बी. कामदार –
१३५ बीनाबेन छबीलदास जैन वढवाणसीटी १५० संजय बी. कामदार –
१३६ सोनाबेन हसमुखलाल जैन वढवाणसीटी १५१ हर्षाबेन बी. कामदार –
१३७ वर्षाबेन हसमुखलाल जैन वढवाणसीटी १५२ जागृतिबेन बी. कामदार –
१३८ सरोजबेन अमृतलाल जैन वढवाणसीटी १५३ बीनाबेन बी. कामदार –
१३९ ज्योत्सनाबेन अमृतलाल जैन वढवाणसीटी १५४ सुकुमार सूर्यकांत शाह –
१४० परेशभाई छबीलदास जैन वढवाणसीटी १५५ संजय प्रविणचंद शाह –
१४१ वीणाबेन छबीलदास जैन वढवाणसीटी (बीजां नामो हवे पछी)
मात्र बाळको नहि, युवानो नहि, परंतु नाना–मोटा सौ भाई बहेनो आ
महावीर परिवारमां दाखल थाओ, ने २५०० नी संख्या जल्दी पूरी. करो. भगवानना
मोक्षगमनने २५०० वर्ष थई गया.–आपणे पण ते ज मार्गे जवानुं छे. बहादूर–
मुमुक्षुओ, आ छ बोलनुं पालन ते तो तमारा माटे साव नजीवी वात छे. एनाथी तो
घणुंय आगळ वधवानुं छे. माटे वीर बनो ने वीरमार्गे आवो.
मद्रासथी श्री भाईलालभाई शाह लखे छे के–तमारा
आत्मधर्ममां के पुस्तकोमां लखाणशैली घणी ज ऊंची भावना
सहितनी होय छे, ताद्रश्य चितार आपे छे आत्मधर्ममां
दिनप्रतिदिन अने छेल्ला चार–पांच वर्षथी तो घणुं ज ऊंचुं
साहित्य पीरसी रह्या छो.