: आसो : २५०० आत्मधर्म : ४५ :
वच्चे पण आजे आपणने आवो मजानो वीतरागीधर्म अने तेना उत्तम संस्कार
मळ्या छे ते भगवान महावीरनो प्रताप छे.
(सखी–५) बस, तेथी आपणे सौ महावीर भगवानना मार्गे जवा तैयार थया छीए.
बहेनो, आजथी आपणे सिनेमा नहि जोईए, कंदमूळ नहि खाईए,–बोलो?–छे
कबुल?
(बधा साथे) हा, कबुल छे–कबुल छे–कबुल छे!
आपणे हवे सिनेमा नहीं जोईए; कंदमूळ नहीं खाईए.
[घंटनाद–शाबाशी]
(सखी–६) अने दररोज भगवाननां दर्शन करवा आवशुं; तथा धर्मनो अभ्यास पण
करशुं–जेथी महावीर भगवानना मार्गने ओळखीने आपणे पण ते मार्गे जईए.
(सखी–७) वाह, घणुं सरस! भगवानना मार्गे जवा माटे आपणे सौै तैयार छीए...
(बधा साथे–) तैयार छीए...तैयार छीए.
[एक गवडावे....ने...बीजा बधा झीले...] (दरेक लाईन बे वार बोलवी)
वीरप्रभुनां सौ संतान! ........ छे तैयार........ छे तैयार........
वीरप्रभुना पंथे जावा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
अरिहंतदेवनी सेवा करवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
जिनशासननी सेवा करवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
साधुजनोनी सेवा करवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
सम्यग्दर्शन–ज्ञान करवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
उत्तम चारित्र पालन करवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
मोक्षना मार्गे दोडी जावा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
भवबंधनथी छूटी जावा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
वीरना मार्गे दोडी जावा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
सिद्धप्रभुनी साथे रहेवा ........ छे तैयार........ छे तैयार........
(सखी–८) वाह, आपणो उत्साह अने भक्ति देखीने आपणा संघपतिजी (तथा
माताजी) अने बधा वडीलो केवा खुशी थाय छे! आपणे सौए कायम आवा
उत्साहथी ने आनंदथी धर्ममां रस लेवो जोईए.