Atmadharma magazine - Ank 373
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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नवा वर्षनुं लवाजम वीर सं. २५०१
छ रूपिया कारतक:
वर्ष ३२ ई. स. 1974
अंक १ NOV.
[संपादकीय]
आंगणीये अवसर आनंदना
[अवसर चुकशो मा.]
बंधुओ, अवसर आव्यो छे मोक्षने साधवानो!
अवसर आव्यो छे आनंदमय निर्वाणमहोत्सवनो!
महावीरनाथ फरी पधार्या छे मोक्षनो मार्ग बताववा!
मोक्षने साधवानो आ आनंदमय अवसर चुकशो मा.

भगवान महावीर! आप अढीहजार वर्षथी सिद्धालयमां बिराजी
रह्या छो. अढीहजार वर्ष पहेलांं आप अहीं भरतभूमिमां विचरता हता
ने मोक्षमार्ग उपदेशता हता...भव्यजीवो ते ईष्ट उपदेश झीलीने
मोक्षमार्गमां चालता हता. ते प्रसंगने आजे अढीहजार वर्षनुं आंतरु
पड्युं...छतां हे भगवान! अमने तो एम ज लागे छे के आजेय आप
अमारी सन्मुख ज बिराजी रह्या छो ने अमने मोक्षमार्ग उपदेशी रह्या
छो....अमे ते झीलीने आपना मार्गे आवी रह्या छीए. वाह! केवो सुंदर
छे आपनो मार्ग! वीतरागताथी ते आजेय केवो शोभी रह्यो छे!
अढीहजार वर्ष वीतवा छतांय आपनो मार्ग तो आजेय चालु ज छे.
अहा, आवो अद्भुत आनंदमार्ग आपे बताव्यो तेथी आपना उपकारने
अमे कदी भूलवाना नथी. हे मोक्षमार्गना नेता! परम भक्तिभावभीनी
अंजलिवडे आपने पूजिए छीए–वंदीए छीए.
–हरि.