Atmadharma magazine - Ank 373
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: कारतक : २५०१ आत्मधर्म : १ :
पंचास्तिकायमां मोक्षमार्गनुं प्रकरण शरू करतां
कुंदकुंदस्वामी कहे छे के अपुनर्भवना कारणरूप एवा महावीरने
हुं शिरसा अभिनंदु छुं. अहो, कुंदकुंदप्रभु पण जेमने अभिनंदे
ए महावीर भगवानना दिव्य महिमानी शी वात! प्रभो! आप
तो अपुनर्भवरूप सिद्धदशाने पामीने अभीनंदनीय थया छो....
ने अमने पण ते मार्ग बतावीने अमारा माटे अपुनर्भवना
कारण थया छो. कारणअनुसार कार्य–ए न्याये आपने
अनुसरीने अमे पण अपुनर्भव थईशुं.