हुं शिरसा अभिनंदु छुं. अहो, कुंदकुंदप्रभु पण जेमने अभिनंदे
तो अपुनर्भवरूप सिद्धदशाने पामीने अभीनंदनीय थया छो....
ने अमने पण ते मार्ग बतावीने अमारा माटे अपुनर्भवना
अनुसरीने अमे पण अपुनर्भव थईशुं.
Atmadharma magazine - Ank 373
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).
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