
उपयोग लक्षण जीव छे, ने ए ज साचुं जीवन छे;
ए जीवजो जीवडावजो, प्रभु वीरनो उपदेश छे.
चेतन–जीवन वीरपंथमां, नहि देहजीवन सत्य छे;
चेतन रहे निजभावमां, बस! ए ज साचुं जीवन छे.
जरूरी छे के ‘जीवनुं जीवन’ शुं छे? जीवनुं साचुं जीवन शुं छे ते
जाण्या वगर पोते तेवुं जीवन जीवशे कई रीते? ने बीजाने तेवुं
जीवन जीववानुं बतावशे कई रीते?
आधीन देहपींजरामां पुराई रहेवुं ते जीवन छे?–ना, तो तो पछी
देह वगर आत्मा जीवी शके ज नहि. शुं सिद्ध भगवंतो देह अने
खोराक वगर ज जीवन नथी जीवता? –जीवे छे, एटलुं ज नहि
पण तेओ ज साचुं सुखी जीवन जीवे छे.