: ८ : आत्मधर्म : महा : २५०१
लेखांक – २
दुनियामां क्यांय पण शांति–खरेखरी शांति होय तो ते
आत्मामां ज छे, ने आत्माने जाणवाथी ज तेनुं वेदन थाय छे.
जिनमार्गी सन्तो आवी अपूर्व शांतिने पाम्या छे, ने एवी
शांतिना पिपासु भव्यजीवोने कहे छे के तमे पण अपूर्व शांति
पामवा माटे आत्माने ओळखो. आत्मानी ओळखाण
करावनारुं सुगम शास्त्र ‘समाधिशतक’ तेनां प्रवचनोनुं दोहन
आप वांची रह्या छो. –सं.
साची शांति पामवा आत्माने ओळखवानुं कह्युं; त्यां प्रश्न ऊठे छे के आत्मा
केटला प्रकारना छे? अने तेमांथी केवो आत्मा उपादेय छे तथा केवो आत्मा हेय छे?
तेना उत्तरमां आत्मानी त्रण दशा समजावीने, तेमां हेय उपादेय क्या प्रकारे छे ते
बतावे छे. सामान्यपणे तो बधा आत्मा उपयोगस्वरूप छे; पर्यायअपेक्षाए तेना त्रण
प्रकार छे–बर्हिआत्मा; अंर्तआत्मा, अने परमात्मा. तेमांथी अंतरात्मारूप उपायवडे
परमात्मपणाने उपादेय करो ने बहिरात्मपणाने तजो.
* बाह्य शरीरादि पदार्थोने ज
आत्मा माने छे ते बहिरात्मा छे.
* जेने अंतरमां देहादिथी भिन्न
ज्ञानानंदस्वरूप आत्मानुं भान छे
ते अंतरात्मा छे.
* जेणे परम चैतन्यशक्ति खोलीने
परम सर्वज्ञपद प्रगट कर्युं ते
परमात्मा छे.