परमात्मा थवानुं साधन शुं? के अंतरात्मापणुं ते परमात्मा थवानुं साधन छे. अंतरमां
परमात्मशक्ति भरी छे, तेनी प्रतीत करीने तेमांथी ज परमात्मदशा प्रगटे छे. ए
सिवाय बहारमां बीजुं कोई तेनुं साधन छे ज नहि. आत्माना अंर्तअवलोकनमां कोई
बहारनी चीज सहायक पण नथी ने विघ्नकारी पण नथी. आवा अंर्त स्वभावनी द्रष्टि
करे तो अंतरात्मपणुं थाय ने बाह्यमां आत्मबुद्धिरूप बहिरात्मपणुं छूटी जाय. अने जे
अंतरात्मा थयो ते हवे अंर्तशक्तिमां एकाग्र थईने परमात्मा थई जशे. आ रीते
हेयरूप एवा बहिरात्मपणाने छोडवानो तथा उपादेयरूप एवुं परमात्मपणुं प्रगट
करवानो उपाय अंतरात्मपणुं छे. अने ते अंतरात्मपणुं कर्मादिथी भिन्न ज्ञानानंदस्वरूप
आत्माने जाणवाथी ज थाय छे, माटे अहीं भिन्न आत्मानुं स्वरूप कहेवामां आवे छे.
अंतरात्मदशा वखते परमात्मपणुं के बहिरात्मपणुं न होय; अने परमात्मदशा वखते
बहिरात्मापणुं के अंतरात्मपणुं न होय. अरिहंत अने सिद्धभगवान ते परमात्मा छे;
चोथा गुणस्थानथी मांडीने बारमा गुणस्थान सुधीना साधक जीवो ते बधाय अंतरात्मा
छे; अने मिथ्याद्रष्टिजीवो बहिरात्मा छे.
परमात्मशक्ति भरेली छे, ते शक्तिनो विश्वास करो. जे जीव पोतानी परमात्मशक्तिनो