उपासनाथी एटले के अनुभूतिथी चाले छे.
धर्मचक्रना रथमां थोडीवार बेठा....अहो, वीरनाथ भगवान! आपनुं धर्मचक्र आज पण
चाली रह्युं छे ने ए धर्मरथमां बेसीने मुमुक्षु जीवो आपना मोक्षमार्गमां चाली रह्या छे.
गुजरातनुं आ धर्मचक्र सातसो जेटला साधर्मी यात्रिको सहित भारतना अनेक प्रांतोमां
फरशे ने ठेरठेर महावीरप्रभुनो सन्देश संभळावशे. तलोदमां आ धर्मचक्रनुं उद्घाटन श्री
प्रकाशचंदजी जैन शेठी (मध्यप्रदेशना मुख्यमंत्री) द्वारा थयुं हतुं. आ प्रसंगे
मध्यप्रदेशना मुख्यमंत्रीजीए मध्यप्रदेशनी सरकार तरफथी गुजरात प्रदेशने रूा.
पचासहजार दुष्काळराहतफंडमां आपवानी जाहेरात करी हती. भारतमां अत्यारे मुख्य
पांचमहावीर धर्मचक्र चाली रह्या छे: प्रथम धर्मचक्र दिल्ही–पाटनगरथी चालु थयुं–जेनुं
उद्घाटन भारतना वडाप्रधान श्रीमती इंदिराबेन गांधीए कर्युं हतुं. बीजुं इंदोर शहेरथी
शरू थयुं छे; त्रीजुं श्रवणबेलगोलथी चाली रह्युं छे; चोथुं धर्मचक्र राजगृही तीर्थधामथी
चालु थयुं छे ने पांचमुं गुजरातप्रदेशनुं धर्मचक्र फत्तेपुरथी शरू थयुं छे. ठेरठेर अभूतपूर्व
जागृती आवी रही छे, ने धर्मचक्रनुं धामधूमपूर्वक सन्मान थई रह्युं छे. आपणे पण
महावीरभगवानना जयकार सहित तेमना धर्मचक्रने आनंदथी वधावीए छीए ने
भावना भावीए छीए के जिनेन्द्रभगवाननुं धर्मचक्र आखा देशमां प्रवर्तो ने जगतना
जीवोनुं कल्याण करो.
बिहारीलालजी जैन तरफथी थयो हतो.) बीजुं–गुरुदेव साथे गीरनारतीर्थनी
भावभीनी यात्रा; त्रीजुं–अढीहजारवर्षीय निर्वाणमहोत्सव–अंतर्गत ‘महावीर–
धर्मचक्र’ नुं संघसहित आगमन.
टूंके पहोंचीने तुरत सहस्रआम्रवन तरफ प्रस्थान कर्युं. अहो, नेमनाथ भगवान ज्यां
दीक्षा लईने मुनि थया, अने ज्यां क्षपकश्रेणी मांडीने केवळज्ञानी–सर्वज्ञ थया ने ज्यांथी
दिव्यध्वनिवडे जगतने सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनो उपदेश दीधो–ते पवित्रधाममां जई