Atmadharma magazine - Ank 377
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 10 of 37

background image
: फागण : २५०१ आत्मधर्म : ७ :
७६. हे योगी! जेना हैयामां जन्म–मरणथी रहित एवा एक परम देव निवास करे छे
ते परलोकने (–सिद्धपदने) पामे छे.
७७. जे जीव, पुराणा कर्मोनो क्षय करे छे, अभिनव कर्मोने आववा नथी देतो, अने
परम निरंजनतत्त्वने नमे छे, ते जीव परमात्मा थई जाय छे.
७८. आत्मा ज्यांसुधी निर्मळ थईने परम निरंजनस्वरूपने नथी जाणतो त्यांसुधी ज
ते पापरूप परिणमे छे ने त्यांसुधी ज कर्मोने बांधे छे.
७९. आत्मा ज उत्कृष्ट निरंजन देव छे; आत्मा ज दर्शन–ज्ञान छे; आत्मा ज साचो
मोक्षपंथ छे;–एम हे मूढ! तुं जाण.
८०. लोको कुतीर्थमां त्यांसुधी परिभ्रमण करे छे, अने धूर्तता त्यांसुधी करे छे,–के ज्यां
सुधी गुरुना प्रसादथी तेओ देहमां ज रहेला देवने नथी जाणता.
८१. हे जीव! त्यांसुधी ज तुं लोभथी मोहीत थईने विषयोमां सुख माने छे–के ज्यां
सुधी गुरुप्रसादथी अविचल बोधने नथी पामतो.
८२. जेनाथी विबोध (भेदज्ञान) उत्पन्न न थाय–एवा त्रणलोक संबंधी ज्ञानवडे
पण जीव बहिरात्मा ज रहे छे, अने तेनुं परिणाम असुंदर छे,–सारूं नथी.
८३. आत्मा अने कर्म वच्चे भेदज्ञाननी द्रढ रेखा दोरवी जोईए, अर्थात् जेवुं भण्यो
तेवुं करवुं जोईए; अने चित्तने ज्यां–त्यां भमाडवुं न जोईए,–आम करे तेने
आत्मामांथी कर्म दूर थई जाय छे.
८४. जे विद्वान आत्मानुं व्याख्यान करे छे पण पोतानुं चित्त तेमां जोडतो नथी, तो
तेणे अनाजनां कण छोडीने घणां फोतरां भेगां करवा जेवुं कर्युं.
८५. पंडितोमां हे पंडित एवा हे पंडित! जो तुं ग्रंथ अने तेना अर्थोमां ज संतोषाई
गयो छे अने परमार्थ–आत्माने जाणतो नथी तो तुं मूर्ख छो; तें कणने छोडीने
फोतरां ज कूटया छे.
८६. जे मोक्षना साचा कारणने तो जाणतो नथी, अने मात्र अक्षरना ज्ञानवडे ज
गर्वित थईने फरे छे ते तो, जेम वंश वगरनो वैश्यापुत्र ज्यां–त्यां हाथ
लंबावीने भीख मांगतो भटके,–तेना जेवो छे.
८७. हे वत्स! बहु पढवाथी शुं छे? तुं एवी ज्ञानचिनगारी प्रगटावतां शीख–के जे
प्रज्वलित थतां ज पुण्य अने पापने क्षणमात्रमां भस्म करी नांखे.
८८. सौ कोई सिद्धत्वने माटे तरफडे छे; पण ते सिद्धत्वनी प्राप्ति चित्तनी निर्मळता
वडे थाय छे.
८९. मल रहित एवा केवळी अनादि स्थित छे, तेमना अंतरमां (ज्ञानमां) समस्त
जगत संचार करे छे, परंतु तेनाथी