: फागण : २५०१ आत्मधर्म : २९ :
समुद्रो आवे छे, पण गगनविहारीने शुं? तेम अनुकूळ–प्रतिकूळ संयोगना खाडा टेकरां,
के हरख–शोक वच्चे भले आवे, पण चैतन्यविहारी थईने मोक्षमार्गना गगनमां गमन
करनारी चेतनाने ते नडी शकतां नथी; मार्ग चैतन्यभावना अवलंबने सीधोसट चाल्यो
जाय छे. विमान सहेज ऊंचुं–नीचुं थतां जरा आंचको लागे छे ने तेनो ख्याल आवे छे
–पण तेथी गति अटकती नथी, तेमज एवो भय थतो नथी...के विमान पडी जशे! तेम
मोक्षमार्गमां चालतां–चालतां सहेज चड–ऊतर परिणाम थाय ते ख्यालमां आवे छे,
–पण मोक्ष तरफनी गति अटकती नथी, तेमज एवो भय थतो नथी के हुं मार्गथी डगी
जईश.
अहा, बहारना आ गगनविहार करतांय अंदरना चैतन्यविहारनी केवी अद्भुत
बलिहारी छे! केवुं निरालंबीपणुं छे! केवी शांति छे! केवी उन्नति छे! वाह रे वाह!
वीरनाथनी मुक्तिपुरीना मार्गमां चैतन्यगगनविहारनो आनंदकारी प्रसंग धन्य छे.
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भगवान महावीरना अढीहजारवर्षीय निर्वाणमहोत्सवनो जे अनेरो प्रसंग
आपणा जीवनमां आव्यो छे तेना हर्षोल्लासना प्रतीक तरीके खास बाळको तेमज
वडीलो तरफथी अढीहजार पैसा आत्मधर्म–बालविभागमां आवी रह्या छे, तेनी यादी–
५२१ तरंगीणी चारूचंद्र शेठ अमदावाद ५३० दर्शनबाळा जैन दिल्ही
५२२ नीखीलेश चारूचंद्र शेठ अमदावाद ५३१ ताराचंद जैन दिदादरा
५२३ छोटालाल लल्लुभाई अजमेरा दामनगर ५३२ मिश्रीलाल जैन करेरा
५२४ जीतेन्द्र नागरदास मोदी सोनगढ ५३३ विनोदकुमार श्रीराम जैन दिल्ही
५२५ चिराग नवनीतलाल जोबालीया अमदावाद ५३४ अजितकुमार चीमनलाल जैन पादरा
५२६ शिषिर एस. संघवी पुना आत्मधर्म प्रचार माटे –
५२७ ईन्द्रवदन केशवलाल शाह मालावाडा ५१/– शांतिलाल ठाकरशी घाटकोपर
५२८ विनीतकुमार जैन मुरादाबाद २१/– वीरजी भीमजी पटेल कानातळाव
५२९ बालमुकुंद शिखरचंद जैन दिल्ही (ता. १४–३–७५ सुधी)
(आ उपरांत कलकत्ताना पप जेटला बालसभ्यो तरफथी पण २५/– रूपिया
(कुल १३७५/–) आवेल छे; ते नामो हवे पछी आपीशुं.