Atmadharma magazine - Ank 377
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ३२ : आत्मधर्म : फागण : २५०१
आवो आवो श्री सिद्धभगवान अम घेर आवो रे...
रूडा भक्तिवत्सल भगवंत नाथ! पधारो ने...
अंतर्मुख करी मुज ज्ञान तुजने वंदुं रे...
मारा अंतरे सिद्धभगवान जोई–जोई हरखुं रे...
मारा आत्मामांथी हुं विकारने काढी नांखीने आपने ज स्थापुं छुं,–हे नाथ!
पधारो मारा अंतरे! निर्मळ श्रद्धा–ज्ञानरूप मारा अंतरना आंगणे आपने बिराजमान
देखीने हुं आनंदित थाउं छुं. आ रीते साधक धर्मात्मा पोताना आंगणे सिद्धभगवानने
पधरावीने पोते पण सिद्धपदने साधे छे. ए ज सिद्धिधामनी अपूर्व यात्रा छे.
विविध समाचार
* पू. गुरुदेव सुखशांतिपूर्वक विचरी रह्या छे. जुनागढ पछी भोपाल–खुरई अने
सनावदमां श्री जिनबिंबप्रतिष्ठा थयेल छे. आ रीते माह मासमां चार ठेकाणे
जिनबिंबप्रतिष्ठा थयेल छे. हवे चैत्र मासमां बेंग्लोरमां प्रतिष्ठामहोत्सव थशे. त्यारबाद
गुरुदेव मुंबई–अमदावाद पधारशे. आ वखते हुं पूज्य गुरुदेव साथे प्रवासमां सामेल
थयेल नथी तेथी दरेक स्थानना विगतवार समाचारो आपवानुं बनी शक््युं नथी. जे–जे
स्थानेथी विगतवार समाचारो के फोटाओ प्राप्त थशे तेनो योग्य उपयोग करीशुं.–संपादक
* द्रोणगीरी–सिद्धक्षेत्र: बुदेलखंडना आ सिद्धक्षेत्रमां ता. त्रीजी मार्चे इंदोरनुं
अने गुजरातनुं–एम बंने धर्मचक्रनुं मिलन थतां वीसहजार जेटला यात्रिकोने घणो हर्ष
थयो; महावीर–धर्मचक्रना स्वागतनुं उल्लासपूर्ण जुलुस नीकळ्‌युं हतुं. गुरुदत्तमुनिना
मोक्षधाममां बे धर्मचक्रना मिलननो आ पहेलो ज प्रसंग हतो. आ प्रसंगे भाई श्री
बाबुभाईना हस्ते महावीरप्रभुना धर्मस्तंभनुं शिलान्यास पण थयुं हतुं. बीजा पण
अनेक स्थळेथी धर्मचक्रना भावभीना स्वागतना समाचारो आवेला छे. सागर शहेरमां
गुरुदेवना तथा गुजरातना धर्मचक्रना स्वागतमां हजारो माणसोए घणा उमंगथी भाग
लीधो हतो. श्री भगवानदासजी शेठने धर्मप्रभावना माटे घणो उत्साह हतो.
* सोनगढमां कहान राहत केन्द्र चाले छे. चारसो जेटली गायो कारमी
परिस्थिति वच्चे जीवी रही छे. तेमने जीवाडवा पूरतो घासचारो आपवानी जरूर छे; ने
हवे मात्र त्रणेक मास खास ध्यान राखवा जेवुं छे. तो उदारदिल मुमुक्षुओ आ
बाबतमां ध्यान आपशे एवी आशा छे. रकम के ड्राफट वगेरे मोकलवानुं सरनामुं
श्री कहानराहतकेन्द्र ट्रस्ट, सोनगढ ()