Atmadharma magazine - Ank 377
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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युद्ध अने
भगवान ऋषभदेवना बे पुत्रो–भरत अने
बाहुबली...बंने चरमशरीरी; आत्माने जाणनारा
बहादूर अने वैरागी. मान–अपमानना प्रश्ने बंने
भाईओ लडया. एकवार लडया...बे वार लडया...
त्रणवार लडया. सम्यक् आत्मा उपर जेमनी द्रष्टि छे
एवा ते बंने, सामसामी द्रष्टि मांडीने द्रष्टियुद्ध
लडया...भरतनी हार थई.
भवजळने तरनारा बंने भाईओए जलयुद्ध
कर्युं...भरतराज तेमांय हारी गया...मोहमल्लनुं मर्दन
करनारा बंने भाईओए मल्लयुद्ध कर्युं...तेमांय बाहुबलीए
भरतराजने खंभा पर उपाडीने हरावी दीधा...


‘अरे, हुं चक्रवर्ती...ने मारुं आवुं अपमान!
एम त्रणे युद्धमां हारेला भरते क्रोधित थईने
बाहुबलीने मारवा माटे चक्र फेंकयुं...पण...