बहादूर अने वैरागी. मान–अपमानना प्रश्ने बंने
त्रणवार लडया. सम्यक् आत्मा उपर जेमनी द्रष्टि छे
एवा ते बंने, सामसामी द्रष्टि मांडीने द्रष्टियुद्ध
लडया...भरतनी हार थई.
करनारा बंने भाईओए मल्लयुद्ध कर्युं...तेमांय बाहुबलीए
भरतराजने खंभा पर उपाडीने हरावी दीधा...
‘अरे, हुं चक्रवर्ती...ने मारुं आवुं अपमान!