Atmadharma magazine - Ank 377
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ४ : आत्मधर्म : फागण : २५०१
हवे सम्यग्दर्शन थया पछी तेनी रहेणी–करणी
तथा विचारधारा केवा प्रकारनी होय ते जोईए–
ज्यारे जीवने सम्यग्दर्शन थाय छे त्यारे, तेने पूर्वमां कोई वखत न आव्यो होय
तेवो अपूर्व आनंद प्रगटे छे. आत्मानो अनुभव थतां पोताने अने परने बराबर जुदा
जाणे छे, अने पोताना परथी जुदापणानी प्रतीत तेने चोवीसे कलाक रहे छे. ते जगतना
परज्ञेयोने पण पहेलांं करतां अपूर्व रीते देखे छे, केमके परने खरेखर पररूपे पहेलांं कदी
जाण्युं न हतुं; हवे परमां मारापणानी भ्रान्ति टळी गयेल होय छे, तेथी परने जाणतां
छतां तेनाथी विरक्त रहे छे; ते परभावनो कर्ता थतो नथी पण तेनाथी भिन्न चेतनावडे
ज्ञाता ज रहे छे, चैतन्यसुखनो स्वाद चाखी लीधो होवाथी हवे परमां क््यांय सुखबुद्धि
के ईष्टपणानी बुद्धि स्वप्नेय थती नथी. ते स्वसमय अने परसमयने बराबर
अनुभवसहित जुदा जाणे छे, तेने केवळज्ञाननुं बीज प्रगटी गयेल छे, अतीन्द्रिय
आनंदना अंकूरा पण फूटया छे; तेनी द्रष्टिमां आखा आत्मानो स्वीकार थई गयो छे;
तेने अनंत गुणोना निर्मळ अंशथी भरेली अनुभूति निरंतर वर्ते छे. हजी जेटली
अधूराश के राग–द्वेष बाकी छे तेने पण ज्ञानी पोतानो अपराध जाणे छे. रागने जाणवा
छतां ज्ञान रागथी जुदुं ज रहे छे. बहारमां तेनी रहेणी–करणी यथापदवी होय छे. जेमके
वीतराग परमात्मा तथा निर्ग्रंथगुरुओना स्वरूपनी ओळखाण, तेमनुं बहुमान,
जिनवाणीनी स्वाध्याय, धर्मात्मा–साधर्मीओ प्रत्ये प्रेम, वारंवार आत्मस्वरूपनुं मनन
तेने होय छे; तेमज गृहकार्य तथा वेपार–धंधा के राजपाट वगेरे संबंधी बहारना
कार्योमां पण जोडायेल होय छे, ते संबंधी अशुभपरिणामो पण थाय छे–पण तेमां
अनंतरस होतो नथी. बहारनां कार्यो तो, अज्ञानीना तथा सम्यग्द्रष्टिना स्थूळपणे
सरखां लागे, पण अंतरना अभिप्रायमां तथा परिणामना रसमां ते बंनेमां घणो ज
आंतरो होय छे.
अज्ञानीने चैतन्यसुखना स्वादनी तो अनुभूति थई नथी, एटले क््यांय बीजे ते
सुख माने छे; अने ज्यां सुख माने त्यां आत्मबुद्धि करे ज; एटले अज्ञानी देह ते हुं,
परनां कार्य हुं करुं छुं तथा परमांथी सुख आवे छे–एम भ्रमथी समजतो होय छे. पण
ज्ञानीने ते भ्रमणा सर्वथा छूटी गई होवाथी तेना अंतरंग आचरणमां एक मोटो फेर
पडी गयो होय छे–के जे बाह्यद्रष्टिथी देखाय तेवो नथी. ज्ञानीने स्वरूपना अस्तित्वनुं
बराबर ज्ञान होवाथी ते पोताने पोतापणे, अने परने परस्वरूपे बराबर जाणे छे.
तेथी