: चैत्र : २५०१ आत्मधर्म : १९ :
* लहरायेगा लहरायेगा झंडा श्री महावीरका *
आ ज्ञानस्वभावी आत्मानो निर्णय करवो ते अपूर्व भाव छे, ते दरेक मुमुक्षुनुं
ईन्द्रिय अने मन साथे जोडायेलो उपयोग आत्माने प्रसिद्ध करी शकतो नथी, ते
शुभ–अशुभभावो तो अज्ञानी जीव पण अनादिकाळथी करतो आवे छे, ते कांई
* सम्यग्दर्शन थतां शुं थाय छे?
* सम्यग्दर्शन थतां ज आत्माना स्वरसनी अपूर्व शांति अनुभवाय छे,
कषाय वगरनी शांतिमां उपयोग ठरतां आत्मानो सहज आनंद प्रगट
थाय छे; अनादिना भवदुःखनी जे भयंकर अशांति ते विराम पामे छे,
ने अपूर्व शांतिमय