Atmadharma magazine - Ank 379
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : वैशाख : २५०१
स्वयंभू
आत्माने ज्ञानरूप–आनंदरूप–सम्यक्त्वरूप के केवळज्ञानरूप
थवामां बीजा कोईनी आधीनता नथी, स्वयं–भवीने पोते
ते–रूप थाय छे तेथी ते ‘स्वयंभू’ छे.
शुद्धोपयोगरूप परिणमन थतां तेना प्रभावथी आत्मा पोते केवळज्ञान अने
‘शुद्ध उपयोगनी भावनानो प्रभाव’–ए वात छए कारकमां लागु पाडवी.
(१) कर्ता;–शुद्धोपयोगरूपे परिणमेलो आत्मा पोते स्वयं कर्ता थईने
केवळज्ञानने करे छे. कोई शुभरागे केवळज्ञान कराव्युं के वज्रसंहननवाळुं शरीर
साधन थयुं–एम नथी; ते समये पर्यायमां आत्मा पोते कर्ता थईने केवळज्ञानने
करे छे.