Atmadharma magazine - Ank 379
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २५०१ आत्मधर्म : १९ :
* (सम्यक्त्व लेखमाळा : पानुं ८ थी चालुं) *
मारो चैतन्यभगवान आत्मा देहथी भिन्न, रागथी पार–एम ज्यां आत्मानी
प्रभुता ज्ञानीना श्रीमुखेथी सांभळे ने अंतरमां विचारे त्यां तो पोतानी प्रभुता एने
नजरे तरवरती होय! अहा, मारामां आवी प्रभुता!–तो हवे तेमां ज केम न ठरुं!
एकक्षण पण हवे दुःखमां केम रहुं! एम तेना अंतरमां एकदम चोंट लागी जाय.
अत्यारसुधी मारुं आवुं जिनस्वरूप होवा छतां में तेने न पीछान्युं, पण हवे तो मारे
आत्मकल्याणनो उत्तम अवसर आवी गयो छे.–आ अवसर चुकवानो नथी, हवे सदाने
माटे आ भवथी छूटीने आत्मामां ज विसामो लेवो छे, अने तेना शांत निर्विकल्परसनुं
ज पान करवुं छे. वाह! जुओ तो खरा, मुमुक्षुनी आत्मजिज्ञासा!!
ते
सम्यक्त्वसन्मुख जीव चैतन्यमां ऊतरीने अंतर्शोध करे छे के मारुं चैतन्य–
ज्ञायकतत्त्व बधाथी असंग केवळ आनंदमूर्ति केवुं छे ? रागादि क्षणिक भावो तो नवा
नवा आवे छे अने चाल्या जाय छे, मारो चैतन्यभाव तेनाथी जुदो छे, ते विभावरूप
कदी थयो ज नथी, विकल्पोना कोलाहलो शांत चैतन्यमां प्रवेशता नथी. जेम बरफमां
ज्यां जुओ त्यां शीतळता ज भरी छे तेम मारा चैतन्यमां पण ज्यां जोउं त्यां सुख–
आनंद–शांतिनी शीतळता ज वेदाय छे,–आम ते चैतन्यनुं स्वसंवेदन करीने सम्यग्द्रष्टि
थाय छे; चमकदार हीरो गमे त्यां हो पण तेनी किंमत तो एकसरखी ज छे, तेम
चैतन्यहीरो गमे ते शरीर वच्चे, संयोगो वच्चे के राग वच्चे हो–पण तेना
चैतन्यभावनी किंमत एकसरखी ज छे; चैतन्यभाव तो ते बधाथी छूटेछूटो चैतन्यभाव
ज रहे छे, ते अन्यथा थतो नथी, परभावथी लेपातो नथी.
सम्यग्दर्शन पहेलांंनी आत्मिक विचारधारा अति उग्र होय छे; जेम रजपूत
केसरिया करे तेम आत्मा माटे तेणे केसरिया कर्यां छे,–केसरिया करीने आत्मामां
झंपलावे छे ने मोहने तोडीने सम्यग्दर्शन पामी विजेता ‘जिन’ बनी जाय छे. भले
नानो–पण ते
जिन’ छे. आवी सम्यक्त्वरूप जिनदशाने झंखता मुमुक्षुने सर्वथी अलिप्त
रहेवानी वृत्ति होय; ज्यां चैतन्यभावनानी पुष्टि थाय एवो संग ज तेने हितकर
लागे....मारे मारा शुद्धात्माना दर्शन करवा छे–ते एक ज लगनी होय; गुरुने पण
वारंवार आ ज प्रश्न पूछे ने आ ज वात सांभळे के मने आत्मप्राप्ति केम थाय! ‘बा’
थी विखुटा पेला बाळकने जेम ‘मारी बा....मारी बा’ ते एक ज रटण होय, ए सिवाय
बीजे क्यांय तेने चेन न पडे; तेनी नजर तेनी बाने ज शोधती होय....